किस उद्देश्य के लिए हम इस धरती पर आये हैं
मेरा जीवन का उद्देश्य क्या है? मैं किसलिए जन्मा हूँ?
चाहे आप अध्यात्म में आगे बढ़ना चाहते हों, अपनी जिंदगी का मकसद जानना चाहते हों, जन्म का उद्देश्य या बस जीवन के रास्तों को समझने की इच्छा रखते हों—यह वीडियो आपके लिए है!
जीवन का उद्देश्य जानने की खोज मानवता की सबसे पुरानी जिज्ञासाओं में से एक है। ज्योतिष शास्त्र, जो हजारों वर्षों से अस्तित्व में है, इस प्रश्न का एक अनोखा और गहरा उत्तर प्रदान करता है। जन्म के समय ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति हमारे जीवन का एक खाका बनाती है, जिसे हम जन्म कुंडली कहते हैं। कुंडली में ग्रह हमारे संचित कर्मों के प्रारब्ध कर्म के अनुसार स्थित होते हैं। जो हमारे स्वभाव, कर्तव्यों और आत्मा के उद्देश्य को दर्शाते है।
संचित कर्म: यह अनगिनत जन्मों में संचित सभी अच्छे और बुरे कर्मों का योग है। यह एक विशाल कर्म बैंक खाते की तरह है।
1. प्रारब्ध कर्म: यह संचित कर्म का वह भाग है जो वर्तमान जीवन में प्रकट हो रहा है, तथा व्यक्ति के अनुभवों और परिस्थितियों को आकार दे रहा है। इसे अक्सर भाग्य या नियति माना जाता है, क्योंकि यह पिछले कर्मों का परिणाम है जिसका अनुभव अब किया जा रहा है।
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह कुछ बताता है, –कोई भी ग्रह अच्छा या बुरा नहीं है। वे हमारे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। लोग राहु को चांडाल, शनि को कठोर मानते हैं, लेकिन असल में, हर ग्रह का कोई न कोई विशेष उद्देश्य होता है, कोई सीख होती है।
वेद और ज्योतिष दोनों मानते हैं कि आत्मा अनंत है और जन्म-मरण के चक्र में चलती रहती है। हमारा वर्तमान जीवन हमारे पिछले कर्मों का फल है, और वर्तमान कर्म हमारे भविष्य को आकार देते हैं। इसलिए, जन्म का उद्देश्य अपने कर्मों को सुधारना, अच्छे कर्म करना और आत्मा की उन्नति करना है। जीवन में जो सुख-दुख, चुनौती या उपलब्धियाँ मिलती हैं, वे सब पिछले कर्मों का परिणाम हैं।
हर आत्मा का लक्ष्य सीखना, अनुभव पाना और आगे बढ़ना है।
जीवन का अंतिम उद्देश्य अपने असली स्वरूप को पहचानना और परमात्मा से एकता प्राप्त करना है। "मैं कौन हूँ?"—इस सवाल को समझना ही असली यात्रा है।
• ज्योतिष में ‘धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष’—ये चार पुरुषार्थ (जीवन के लक्ष्य) बताए गए हैं।
जब हम जन्म लेते हैं, उस समय सूर्य, चंद्रमा, और अन्य ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। इसे जन्म कुंडली कहते हैं।
• सूर्य हमारे व्यक्तित्व और जीवन के मूल उद्देश्य को दर्शाता है।
• चंद्रमा हमारी भावनाओं और मानसिक स्थिति को बताता है।
• लग्न (राशि) हमारे व्यवहार और दुनिया के साथ हमारी पहली छवि को दर्शाता है।
• नक्षत्र और ग्रहों के योग हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को बताते हैं।
अब बात आती है, जीवन के उद्देश्य को जानने की।
सबसे आसान तरीका है – सूर्य से अपने जीवन के पर्पस को जानना। सूर्य आत्मा का कारक है। सूर्य की स्थिति आपके जीवन का मुख्य उद्देश्य बता सकती है।
जीवन का उद्देश्य क्या है?
हमारे जीवन में चार पुरुषार्थ बताए गए हैं – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
हर किसी को किसी एक तरफ विशेष झुकाव रहता है;
(क) धर्म :- किसी का उद्देश्य सिर्फ सही रास्ते पर चलना होता है (धर्म), धर्म का अर्थ है हमारा कर्तव्य या सही मार्ग। यह वह रास्ता है जो हमें नैतिकता, न्याय और समाज सेवा की ओर ले जाता है।
(ख) अर्थ :- अर्थ का मतलब है जीवन में समृद्धि और संसाधनों का प्रबंधन। कोई धन-संपत्ति (अर्थ) के लिए परिश्रम करता है, यह जीवन को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक है।
(ग) काम :- काम से आशय है इच्छाएँ और इच्छाओं की पूर्ति, कोई कार्य-सिद्धि के लिए प्रयत्न करता है (काम).
और मोक्ष :- मोक्ष का मतलब है आत्मा की मुक्ति, यानी जन्म-मरण के चक्र से बाहर निकलना और कुछ लोग इस संसार से विरक्त होकर मोक्ष की ओर बढ़ते हैं।
अब सूर्य की कुंडली में स्थिति देखकर समझ सकते हैं कि आपकी आत्मा किस पुरुषार्थ को साधने आई है।
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