ब्रम्हा मुहूर्त का रहस्य| The Secret Of Bramha Muhurta| Real Science Behind Bramhamuhurt

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ब्रम्हा मुहूर्त का रहस्य| The Secret Of Bramha Muhurta| Real Science Behind Bramhamuhurt| ब्रम्हा मुहूर्त को इतना विशेष क्यों माना जाता है?, ब्रम्हा मुहूर्त को शुभ मानने के पीछे के वैज्ञानिक कारण क्या हैं? शास्त्रों में ब्रम्हा मुहूर्त के बारे में क्या कहा गया है? ब्रम्हा मुहूर्त का सही समय क्या है।

अक्सर आपने भी अपने बड़े बुर्जुगों से सुना होगा कि ब्रम्हमुहूर्त में उठकर अपनी दिनचर्या शुरू करने से जीवन में सफलता मिलती है। तो आखिर ब्रम्हमुहूर्त का सही समय क्या है ?ब्रम्हमुहूर्त को शुभ क्यों माना जाता है? ब्रम्हमुहूर्त में किए गए कार्य सिद्ध क्यों होते हैं? और साइंटिफिक राइजर्चेस इसके बारे क्या बोलती हैं? इन सब प्रश्नों का उत्तर जानेंगे, आज की इस वीडियो में।
भारतीय संस्कृति में 24 घंटे के समय को कुल 30 मुहूर्त में बाटा गया है, यानि कि हर एक मुहूर्त 48 मिनट का होता है। इस तरीके से 15 मुहूर्त दिन में और 15 मुहूर्त रात में होते हैं।
ब्रम्हमुहूर्त, रात्रि का चौदावां मुहूर्त है। सूर्योदय होने से पहले दो मुख्य मुहूर्त होते हैं, ब्रम्हमुहूर्त उनमें से पहला मुहूर्त है। अगर exact time की बात करें तो सूर्य उदय होने से 1 घंटे 36 मिनट पहले ब्रम्हमुहूर्त की शुरुआत हो जाती है, और यह अगले 48 मिनट तक चलता है। पर क्योंकि ज्योग्राफिकल सिचुएशन और मौसम के अनुशार सूर्य हर दिन अलग अलग समय पर निकलता है। इसीलिए ब्रम्हमुहूर्त के शुरू होने का समय भी हर दिन अलग अलग होता है। उदाहरण के लिए अगर गर्मी के मौसम में सूर्योदय सुबह 6 बजे हो रहा है। तो ब्रम्हमुहूर्त 4 बजकर 24 मिनट पर शुरू होगा। और अगर सर्दी के मौसम में सूरज सुबह 7 बजे उग रहा है तो ब्रम्हमुहूर्त की शुरुआत 5 बजकर 24 मिनट पर होगी। आमतौर पर सुबह 4 बजकर 24 मिनट से लेकर 5 बजकर 12 मिनट तक के समय को भारत में ब्रम्हामुहूर्त कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुशार "ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, धन दौलत, बुद्धि, अच्छा स्वास्थ्य, लम्बी आयु आदि की प्राप्ति होती है। इसका पालन करने वाले व्यक्ति का शरीर कमल की तरह सुंदर हो जाता है।
अष्टांग हृदय', जो कि आयुर्वेद पर एक ग्रंथ है, उसमें भी लिखा हुआ है कि लगातार ब्रह्म मुहूर्त में जागने से व्यक्ति की उम्र बढ़ जाती है और बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।
सामवेद में भी इसका उल्लेख मिलता है।
सामवेद के अनुशार "व्यक्ति को सूर्योदय से पहले ही शौच और स्नान आदि करके भगवान की भक्ति करनी चाहिए" ।
ऋग्वेद में लिखा हुआ है कि
सूर्योदय होने से पहले उठने वाला इंसान स्वस्थ रहता है. और कोई भी बुद्धिमान इंसान इस समय को सोकर व्यर्थ नहीं करेगा. इस समय उठने वाले लोग हमेशा सुखी वा पूरे दिन ऊर्जावान बने रहते हैं, और उनकी आयु लंबी होती है।
शास्त्रों के मुताबिक, ब्रह्म मुहूर्त में उठने वाले लोग बुद्धिमान व उत्साही होते हैं और सोते रहने वालों का जीवन निस्तेज हो जाता है। प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनि इस समय उठ जाया करते थे और स्नान आदि से निवृत होकर भगवान की साधना में लीन हो जाते थे।
ब्रह्म मुहूर्त के बारे में विज्ञान भी अभी तक की सभी बातों पर पुष्टि करता है। और अपनी सहमति जताता है। आइए अब जानते है कि ब्रम्हमुहूर्त के बारे में वैज्ञानिक शोध क्या बताते हैं।
"इंटरनेशनल जूर्नल ऑफ योगा एंड एलाइड साइंसेज के अनुसार, ब्रम्हमुहूर्त के दौरान वातावरण में नवजात ऑक्सीजन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। यह नवजात ऑक्सीजन आसानी से हमारे रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है, जिसके निम्नलिखित लाभ हैं।
शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।
रक्त में पी-एच की मात्रा संतुलित बनी रहती है।
दर्द-खिंचाव और शरीर के दुखने से छुटकारा मिलता है।
शरीर में मिनरल्स और विटामिन्स के उपयोग और भी बेहतर होते है।

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