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Скачать или смотреть वर्ण व्यवस्था। दैवी उत्पत्ति का सिद्धांत। सामाजिक भेदभाव की शुरुआत। Varna system ।

  • Versan History academy
  • 2024-04-28
  • 610
वर्ण व्यवस्था। दैवी उत्पत्ति का सिद्धांत। सामाजिक भेदभाव की शुरुआत। Varna system ।
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Описание к видео वर्ण व्यवस्था। दैवी उत्पत्ति का सिद्धांत। सामाजिक भेदभाव की शुरुआत। Varna system ।

वर्ण व्यवस्था। दैवी उत्पत्ति का सिद्धांत। सामाजिक भेदभाव की शुरुआत। Varna system। Upper Vedic period प्राचीन भारत का इतिहास
यह वीडियो उत्तर वैदिक कालीन सामाजिक व्यवस्था के बारे में है उसे समय की सामाजिक व्यवस्था वर्ण व्यवस्था परआधारित थी। यहां तक की वर्तमान समाज भी इससे अछूता नहीं है। ऋग्वेद काल में तीन प्रमुख वर्ण ब्राह्मण क्षत्रिय और वैश्य स्थापित हो चुके थे किंतु चौथा वर्ण शुद्र वर्ण ऋग्वेद काल के अंतिम चरण में स्थापित हुआ। ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में वर्णों की उत्पत्ति के देवी सिद्धांत की व्याख्या है। इसमें बताया गया है कि विराट पुरुष के मुख से ब्राह्मण बाजू से क्षेत्रीय जांघों से वैश्या और पैरों से शूद्रों का जन्म हुआ। प्रारंभ में यह सामाजिक वर्गीकरण व्यवसाय के आधार पर था। किंतु बाद में यह जन्म पर ही आधारित हो गया। ऊपर के तीनों वर्ण आर्य वर्ण के लोग शामिल थे चौथा वर्ण मुख्यतः आर्यों द्वारा पराजित किए गए अनार्य वर्ण के लोग थे। ब्राह्मण का कार्य अध्ययन अध्यापन का था। क्षेत्रिय वर्ण राज्य की सुरक्षा काम करता था। वैश्या वर्ग कृषि एवं व्यापार संबंधी कार्य किया करता था। और चौथा वर्ण ऊपर के तीनों वर्णों की सेवा किया करता था और उन्हें दास समझा जाता था। उत्तर वैदिक काल मैं स्थापित इस वर्ण व्यवस्था मैं सामाजिक भेदभाव एवं सामाजिक असमानता के बीज छुपे थे। यही असमानता और भेदभाव के बीज अंकुरित होकर धीरे धीरे भारतीय समाज में वट वृक्ष बन गए। जिसकी जड़ें इसी वर्ण व्यवस्था में छुपी हुई है। और भारतीय समाज की रीड बनी हुई है।

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