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Скачать или смотреть देवाधिदेव महादेव प्रसिद्ध प्राचीन पौराणिक श्री दक्षेश्वर महादेव हरिद्वार शंकर जी सती माता मन्दिर

  • Haridwar Temple Uttarakhand
  • 2022-05-05
  • 5751
देवाधिदेव महादेव प्रसिद्ध प्राचीन पौराणिक श्री दक्षेश्वर महादेव  हरिद्वार शंकर जी सती माता मन्दिर
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Описание к видео देवाधिदेव महादेव प्रसिद्ध प्राचीन पौराणिक श्री दक्षेश्वर महादेव हरिद्वार शंकर जी सती माता मन्दिर

हरिद्वार
मन्दिर श्री दक्षेश्वर महादेव जी हरिद्वार उत्तराखंड मन में श्रद्धापूर्वक आरती दर्शन करें
मन मे भाव प्रकट करते की हम भोलेबाबा के शरण मे बैठ कर आरती देख रहे है
मन को एकाग्र चीत करके आरती का दर्शन करें महादेव का ससुराल है
विश्व प्रसिद्ध प्राचीन पौराणिक महादेव मन्दिर
मन्दिर श्री दक्षेश्वर महादेव जी
विश्व प्रसिद्ध हरिद्वार का मन्दिर
सावन मे लाखों भक्त जल चढ़ाने आते है
प्राचीन काल का यह शिव मन्दिर विश्व प्रसिद्ध पौराणिक शिवालय हरिद्वार उत्तराखंड में विराजमान है
शिव महापुराण मे वर्णित कथा अनुसार शिव का विवाह माता सती के साथ कनखल मे हुआ था  माता सती के पिता प्रजापति दक्ष थे जो कनखल हरिद्वार मे जिनकी राजधानी थी राजा दक्ष ब्रह्मा जी के पुत्र थे
उन्ही की पुत्री थी माता सती माँ सती को दक्ष पुत्री के नाम से जाना जाता है ।
यहाँ पर राजा दक्ष ने बहुत बड़ा महा यज्ञ किया और यज्ञ देव महादेव को  निमंत्रण नही किया यह बात नारद जी ने जाकर शिव सती को बताये की आपके ससुर जी महायज्ञ करवा रहे है महादेव आप की अनुपस्थिति मे कोई भी यज्ञ सफल नही हो सकता और आप को ही नही बुलाया। माता सती शिव जी के मना करने के बाद भी यज्ञ अनुष्ठान मे आ गयी पिता दक्ष ने माता सती को देख कर क्रोधित होकर शिव जी के विषय मे अपशब्द कहने लगे अपने पति के विषय मे अपमान जनित शब्द सुनकर माता सती क्रोधित होकर
अपने दश विराट स्वरूप मे आ गयी जिन स्वरूप को दशमहा विधा के नाम से जाना जाता है और वहाॅ उपस्थित सभी को श्राप देकर राजा दक्ष को श्राप देकर बोली तू और तेरा अहंकार हे शिव द्रोही दक्ष तेरा मै,मै पन तेरा मुख बकरे का हो जायेगा जा उसी समय माता सती योग अग्नि मे अपने शरीर को समर्पित कर दी माता को योग अग्नि मे देकर तीनो लोक मे हाहाकार मच गया आकाश से ज्वालामुखी टुट कर वरसने लगा सभी देवता महादेव के शरण मे जाकर शिव जी को यज्ञ शाला मे घटित धटना को महादेव को सुनये महादेव क्रोधित होकर अपनी जटा से एक बाल तोड़कर उस बाल से वीरभद्र और काली को प्रकट किये और दोनो को कनखल यज्ञ मे जाकर उन्हे घोर डण्ड देने को कहा वीरभद्र काली आकर उपस्थित सभी को काटने लगे
वीरभद्र ने राजादक्ष के सिर काट कर हवन कुण्ड मे डाल दिए इधर माता सती के वियोग से व्याकुल होकर माता सती के शरीर को ले कर चारो ओर भटकने लगे इस तरह सृष्टि का विनाश देख सभी देवता भगवान नारायण के शरण मे गये नारायण जी अपने चक्र से माता सती के अंग को काटते चले गये जहाॅ जहाॅ  अंग गिरा वह स्थान पर शक्तिपीठ बन गया और जहाॅ शक्तिपीठ बना वहीं शक्तिपीठ की रक्षा के लिए भैरव भी प्रकट हुए । इधर सभी देवता और ऋषिगण  महादेव से क्षमा याचना करने लगे तब महादेव ने राजा को दक्ष बकरे का सिर लगा कर उन्हे जीवन दान दिया बकरे का मुख लगते ही राजा बम बम हर हर  कहते हुये क्षमा मांग कर महादेव से प्राथना करने लगा यज्ञ पूर्ण करयें महादेव जी और आसन ग्रहण करें तब
देवो के देव महादेव
आसन ग्रहण किये और यज्ञ निर्विघ्नता पूर्वक सम्पन्न हुआ
#हर हर महादेव
महादेव जी से राजा दक्ष ने अनुरोध किया कि हे महादेव हमारे राज्य की रक्ष की जिम्मेदारी आप पर है आप यहाँ हमेशा के लिए विराजमान हो जाएं उसी समय स्वम्भु  लिंग प्रकट हुआ महादेव बोले आज से मै इस लिंग मे मै निवास करूँगा इस लिंग को दक्षेश्वर महादेव मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध होगा ।
उधर हिमाचल देवी भगवती के कठोर तपस्या मे लिन थे माता हिमाचल के तपस्या से प्रसन्न होकर कर उनके घर पुत्री अवतार में जन्म लेने का वर देकर पार्वती अवतार  में जन्म लिया इस लिए माता को शैल पुत्री के नाम से भी जाना जाता है शिव जी की कठोर तपस्या करने लगी निर्जल निराहार रहकर तपस्या
करने  के कारण माता का नाम अपर्णा हो गया पर्वती माता संग शिव जी का विवाह हुआ और गणेश जी और कार्तिक जी का जन्म हुआ
हर हर महादेव
ॐ नमः शिवाय
।आरती श्री दक्षेश्वर महादेव जी की ।।
जै जै जै दक्षेश्वर शिव हर, आरती करूॅ नित ध्यान धर ।
जन्म जन्म दिया नीज छाया, चरण शरण कृपा संग दया ।।
जै दक्षेश्वर महादेव हर ,आरती करूॅ विभोर मनभर ।
सर्वग्य पति जग रक्षक आभा, जगत सहाय बने हैं बाबा ।।
नाग त्रिशूल डमरू कर खप्पर, भष्म भभूती पट बाघम्बर।
दक्षेश्वर हर सम्भु शंकर, जट गंगाधर चमकत चन्दर ।।
दक्ष महायज्ञ शिव सती बीन, सुन दक्ष नन्दनी चली मन।
सुरन श्राप भर चली कष्ट मन अनल त्याग तन, शिव लेचल शक्तिपीठ पी अंगन ।।
राजा दक्ष यज्ञ अहम मिटाये , प्रकट वीरभद्र शीश उडाये ।
क्षमा याचना सुरन प्राथना , तब दीन्ही बकरा मुख प्राणा ।।
शिवम अंश यज्ञशाला आसन ,ॠषिवृन्द संग देव त्रिलोचन।
सफल यज्ञ आनन्द उमंग पर ,राजा दक्ष गिर पड़ा चरण हर  ।।
महादेव जय लीला न्यारी, कहत वेद पुराण जग सारी ।
जय जय कार गुंज तब हर हर ,निज अंश पर भले दक्षेश्वर ।।
कनखल मध्य लिंग उजियारा, नन्दीश्वर मोहत मन सारा ।
मुकुट मणि सिर छत्र सुसोहे, सुमन सिंगार मनवा मोहे ।।
व्यास बाल्मीकि कपिल द्वारे,गले रुद्राक्ष सिध्दासन निखरा ।
मुनि जितेंद्र गावं,एक आशा जन्म मरण बम भोले दासा ।।
नित गावे आरती तुम्हारी , पावे भक्ति जगत सुख सारी ।
अन्त त्याग जावे शिव धामा,  तीनहुलोक करे प्रणामा ।।
ॐ जय शिव ओम कारा
भोले हर शिव ॐ आरा
ब्रह्मा ब्रह्म सदा शिव
अर्धाङ्गी धारा
ॐहर हर हर महादेव
तीनो रुप निरखता
त्रिभुवन जन मोहे ॐ
महादेव
विश्व प्रसिद्ध प्रजापति मन्दिर
रुद्राक्ष सिध्दासन भष्म भभूत से महादेव जी की आरती
बम-बम
A

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