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Скачать или смотреть उपनयन संस्कार ( भाग -2 ) PARENTING : आचार्य सुश्रुत सामश्रमी

  • वैश्विक सन्मार्ग Vaishwik Sanmaarg
  • 2023-03-07
  • 447
उपनयन संस्कार  ( भाग -2 )  PARENTING : आचार्य सुश्रुत सामश्रमी
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Описание к видео उपनयन संस्कार ( भाग -2 ) PARENTING : आचार्य सुश्रुत सामश्रमी

जिससे शरीर मन बुद्धि आत्मा सुसंस्कृत होने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्त हो सकते हैं तथा जिससे सन्तान योग्य होते हैं उसे संस्कार कहते हैं।
संस्कार के दोषमार्जन, हीनांगपूर्ती तथा अतिशयाधान ये तीन चरण हैं। गर्भाधान से मृत्यु पर्यन्त जीवन सन्धियों उम्र सन्धियों ऋतु सन्धियों पर सोलह संस्कारों का प्रावधान है। 1. गर्भाधान, 2. पुंसवन, 3. सीमन्तोन्नयन, 4. जातकर्म, 5. नामकरण, 6. निष्क्रमण, 7. अन्नप्राशन, 8. चूड़ाकर्म, 9. कर्णवेध, 10. उपनयन, 11. वेदारम्भ, 12. समावर्तन, 13. विवाह, 14. वानप्रस्थ, 15. संन्यास एवं 16. अन्त्येष्टि ये सोलह संस्कार हैं। इनमें तीन गर्भावस्था सम्बन्धित, नौं ब्रह्मचर्यावस्था सम्बन्धित, क्रमशः एकेक गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास सम्बन्धित तथा अन्तिम संस्कार मरणोपरान्त शरीर पर किया जाता है
वैदिक संस्कारों की श्रृंखला में उपनयन संस्कार दसवां तथा जन्मोपरांत सातवां संस्कार है। इस संस्कार में यज्ञोपवीत या जनेऊ धारण कराया जाता है। इसके धारण कराने का तात्पर्य यह है कि बालक अब पढ़ने के लायक हो गया है, और उसे आचार्य के पास विद्याध्ययन के लिए व्रत सूत्र में बांधना है। यज्ञोपवीत में तीन सूत्र होते हैं जो तीन ऋणों के सूचक हैं। ब्रह्मचर्य को धारण कर वेदविद्या के अध्ययन से ”ऋषिऋण“ चुकाना है। धर्मपूर्वक गृहस्थाश्रम में प्रवेश कर सन्तानोत्पत्ति से ”पितृऋण“ और गृहस्थ का त्याग कर देष सेवा के लिए अपने को तैयार करके ”देवऋण“ चुकाना होता है। इन ऋणों को उतारने के लिए ही क्रमषः ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ आश्रम की योजना वैदिक संस्कृति में की गई है।
बालक-बालिका के पढ़ने योग्य अर्थात् पांचवे से सातवे वर्ष तक यह संस्कार करना उचित है।
आपके मन में इस संस्कार के विषय में उठने वाले संभावित प्रश्न जिनके उत्तर यहां मिलेंगे -
उपनयन संस्कार क्या है? इस संस्कार का मानव जीवन में क्या महत्व है? उपनयन में यज्ञोपवीत का क्या इतना महत्व क्यों है? और यह क्यों धारण किया जाता है? उपनयन कितनी आयु तक हो जाना चाहिए? मनुष्यों के लिए यह क्यों आवश्यक है? उपनयन के बाद बालक द्विज क्यों कहलाता है? यज्ञोपवीत क्या कपड़ों के बाहर भी पहना जाता है? यज्ञोपवीत को सार्वजनिक संस्कार क्यों बनाया गया? उपनयन और अंतेवासी का क्या अर्थ है? यज्ञोपवीत के 3सूत्रों का क्या महत्व और अर्थ है? क्या कन्याओं का भी उपनयन, यज्ञोपवीत और वेदाध्ययन का अधिकार है? इस पर वेदों की क्या आज्ञा है? उपनयन की अवान्तर विधियां क्या है? अनृत से सत्य का 5बार व्रत क्यों धारण किया जाता है? उपनयन में आचार्य क्या संकल्प लेता है? आचार्य द्वारा 3बार जल बालक की अंजलि में क्यों छोड़ा जाता है? सूर्य अवलोकन विधि से क्या अभिप्राय है? शिष्य के द्वारा गुरु की प्रदक्षिणा क्यों की जाती है? गुरुशिष्य का अंग स्पर्श किस मंगल कामना से करता है?

आचार्य डॉ श्री सुश्रुत सामश्रमी जी द्वारा वैदिक सोलह संस्कारों का सरल एवं सुगम हिन्दी में वैज्ञानिक विवेचन का लाभ लेवें तथा औरों को भी शेयर करने व सबस्क्राइब करने हेतु प्रेरित करें, साथ ही बैल आइकॉन भी दबाऐं ।
यह आपके द्वारा वैदिक संस्कृति तथा ज्ञान के प्रसार में एक महती सेवा भी है

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