चमत्कारी मंत्र- दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी- 1 माला 10 मिनट में

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चमत्कारी मंत्र-
दीन दयाल बिरिदु संभारी,
हरहु नाथ मम संकट भारी-
1 माला 10 मिनट में

संकट से बचने के लिए
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||

यह चौपाई श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की है. लंकापुरी को जलाने के बाद हनुमानजी लौटने के लिए सीता माता से आज्ञा मांगने आते हैं. सीताजी ने हनुमान से कहा कि प्रभु (श्रीराम) से मिलने पर वे उनका संदेश पहुंचा दें. सीताजी ने कहा, 'प्रभु से कहना कि दीनों पर दया करना तो आपका विरद है. उसी विरद को याद करके हे नाथ, आप मेरे इस भारी संकट को हर लीजिए.'

मानस के मंत्रों को सिद्ध करने और जप के अपने नियम तो हैं, पर बिना किसी खास नियम के, केवल एकाग्र मन से भी मंत्र का प्रयोग किसी भी अवस्था में किया जा सकता है. अचानक संकट उत्पन्न होने पर कोई भी कभी भी कातर भाव से इसे जप सकता है.

धार्मिक ग्रंथों में मानस के ऐसे मंत्रों की महिमा खूब गाई गई है. साधकों को उनकी भावना के अनुरूप ही फल मिलता है. इस तरह के उपाय सिर्फ आस्त‍िकों के लिए ही हैं.

जाप की विधि
1. रोज सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवान श्रीराम / श्री हनुमान जी के चित्र की पूजा करें।
2. भगवान श्रीराम / श्री हनुमान जी को ताजे फूल चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक भी लगाएं।
3. इसके बाद तुलसी की माला से इस चौपाई का जाप करें।
4.कम से कम 108 बार यानी 1 माला जाप जरूर करें।
5. कुछ ही दिनों में इस चौपाई का प्रभाव दिखने लगेगा और आपके संकट दूर होते चले जाएंगे।


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