मुक्तिबोध जन्मशती : नरेश सक्सेना

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जनवादी लेखक संघ और राजेंद्र प्रसाद अकादमी की साझेदारी में प्रस्तुत :

‘जन –जन का चेहरा एक’
जन्मशती जलसा : गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964)
18 नवम्बर 2017 /राजेंद्र भवन सभागार , नई दिल्ली
भाग-3

नरेश सक्सेना ने बताया कि सामाजिक सरोकारो को मुक्तिबोध अपनी कविता में किस प्रकार वैज्ञानिक शब्दावली द्वारा जरूरी सवाल बनाते हैं। गहरी षड्यंत्रकारी राजनीति क्या करती है? और समाज को उससे बचने के लिए क्या करना चाहिए।या मुक्तिबोध के यहाँ मिलता है। ‘ब्रह्म राक्षस’ कौन हैं? उनसे कैसे निबटना चाहिए। ‘ब्रह्म राक्षस’ का मिथक क्या है? समाज को कैसे बचना है। यह मुक्तिबोध के देखा जा सकता है ।

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