नीचे लिखें सभी एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण हैं
U.P.P /U.P.S.I
U.P.S.S.S.C /U.P.P.S.C
U.P.T.G.T /U.P.P.G.T
U.P.T.E.T / SUPER T.E.T
U.P LOWER SUB.U.P.P.C.S.(Pre) /U.P.R.O /A.R.O
BANKING/ SSC /RAILWAY
website link
www.sugamstudy.com
ब्रजभाषा
ब्रजभाषा:
ब्रज का अर्थ : गौशाला, चारागाह , पशुपालन ,
पशुओं का समूह
पशु जीवन से सम्बद्धता तथा पशुपालन , ब्रज भूमि से जुड़ी रही है इसी आधार पर यहां प्रयुक्त होते वाली बोली को ब्रजभाषा कहते है।
✓ब्रज भाषा का विकास :
•ब्रजभाषा शौरसेनी अपभ्रंश से विकसित है।
•ब्रजभाषा पश्चिमी हिन्दी की एक बोली है।
•ब्रजभाषा पश्चिमी हिन्दी उपभाषा वर्ग की बोली है।
•पश्चिमी हिन्दी की सर्वाधिक प्रमुख बोली ब्रजभाषा है।
✓ब्रजभाषा का क्षेत्र :
मथुरा , आगरा , बुलन्दशहर , एटा , बदायूँ , अलीगढ़ , महामायानगर , कांशीरामनगर , बरेली , मैनपुरी , फिरोज़ाबाद , धौलपुर , पीलीभीत , गुड़गाँव , भरतपुर , करौली , ग्वालियर , हाथरस, कासगंज ,वृन्दावन आदि ।
✓ ब्रजभाषा की उपबोलियाँ :
•ब्रज भाषा की मुख्य पाँच उपबोलियाँ है-
(1 ) भुक्सा (2 ) अन्तर्वेदी (3) भरतपुरी
( 4 ) डाँगी ( 5 ) माथुरी
✓ब्रजभाषा के अन्य नाम :
मध्यदेशीय , अन्तर्वेदीय , ग्वालियरी,
पिंगल , मणि , माधुरी , नागभाषा
✓बंगाली एवं असमिया के साथ मिलकर ब्रजभाषा ब्रजबुलि बहलायी।
✓ब्रजवलि शब्द के सर्वप्रथम प्रयोगकर्ता ईश्वर चन्द्र गुप्त है।
✓कृष्ण काव्य की सर्वप्रमुख भाषा ब्रजभाषा है।
✓गंगा-यमुना के मध्य भाग को अन्तर्वेद कहा जाता है इस क्षेत्र में प्रचलित ब्रजभाषा अन्तर्वेदी कहलायी ।
✓नैनीताल के तराई क्षेत्र में प्रचलित ब्रजभाषा का नाम बोक्सा पड़ा।
✓हिन्दी साहित्य के मध्यकाल की सर्वप्रमुख भाषा ब्रजभाषा है।
✓रीतिकाल में ब्रजभाषा की प्रधानता थी।
✓विनयपत्रिका ब्रजभाषा में लिखी गई।
✓ब्रजभाषा के कवि :
•अष्टछाप के कवि ब्रजभाषा के कवि है।
•अष्टछाप के अन्दर कुल आठ कवि है।
•अष्टछाप के कवि : ( 1 ) कुम्भनदास ( 2 ) परमानन्ददास (3 ) कृष्ण दास ( 4 ) सूरदास ( 5 ) गोविन्द दास ( 6 ) छीतस्वामी ( 7 ) चतुर्भुज दास ( 8 ) नन्द दास
•ब्रजभाषा के अन्य कवि :
तुलसीदास , रहीम , रसखान ,मीराबाई आदि ।
✓ब्रज भाषा की विशेषताएं
1 ) ब्रज भाषा ओकारान्त प्रधान है
जैसे: भलो (भला)
नीको (नीका)
लेनो ( लेना )
देनो ( देना )
ओकारान्त का मतलब है " वह शब्द जिसके अन्त में 'ओ ' की मात्रा हो" उसे ओकारान्त कहते है।
2 ) हिन्दी में पद के अन्त में जो " ए " और "ओ " होते है
उनके स्थान पर ब्रजभाष में "ऐ" और "औ" हो जाते है।
जैसे: करै ( करे )
घर मै (घर में)
ऊधौ (ऊधो)
साधुकौ (साधुको)
3 ) ब्रजभाषा में "ल" और "ड़" के स्थान पर " र " कर देने की
प्रवृत्ति व्याप्त है।
जैसे: झगरो ( झगड़ा )
पीरो ( पीला )
4 ) ब्रजभाषा में स, श और ष के स्थान पर
केवल "स" का प्रयोग होता है।
जैसे : स्याम ( श्याम )
रिसि ( ऋषि )
5 )ब्रजभाषा में शब्दों के अन्त में हृस्व "इ" और "उ" होते है।
जैसे : बहुरि , करि , किमि
6 ) ब्रजभाषा में ' न 'प्रत्यय जोड़कर के बहुवचन बनाते है।
जैसे : घोड़न ( घोड़ा )
7 ) ब्रजभाषा में ' मैं ' के स्थान पर ' हौ ' का प्रयोग होता है।
8) ब्रजभाषा में कुछ ध्वनि का परिवर्तन अत्यंत महत्वपूर्ण है
क - च
ण - न
न - ल
जैसे: क्यों- च्यों
वाण- बान
नम्बरदार- लम्बरदार
#Hindi_Vyakaran
#Samanya_Hindi
#हिन्दी_व्याकरण
#सामान्य_हिन्दी
#Vyakaran
#व्याकरण
#UPSI
#VDO
#UP_POLICE_CONSTABLE
#JUNIOR_ASSISTANT
#LOWER_PCS
#लेखपाल
#TET
#UPTGT
#UPPGT
#KVS
#NVS
#DSSSB
#SUPER_TET
Информация по комментариям в разработке