Saprayog Mahavidya Havan Vidhi । दस महाविद्या हवन मंत्र । Mahavidya Havan Samagri । महाविद्या हवन ।

Описание к видео Saprayog Mahavidya Havan Vidhi । दस महाविद्या हवन मंत्र । Mahavidya Havan Samagri । महाविद्या हवन ।

Saprayog Mahavidya Havan Vidhi । दस महाविद्या हवन मंत्र । Mahavidya Havan Samagri । महाविद्या हवन ।kamru kamakhya mata ka mandir
kamru kamakhya ka bhajan mahavidya path
mahavidya mantra
maha vidya pooja
mahavidya ashram
mahavidya prayoga kaise kare
mahavidya sadhana
mahavidya puja
mahavidya Kavach Path
mahavidya adhya shakti
dasa mahavidya महाविद्यानुष्ठान पद्धति
श्रीमहाविद्यामन्त्रहोमः
मन्त्रों से पूर्व लिखे हुए पदार्थ की आहुति क्रमशः प्रदान करें। जो समिधाएं दी गयी है उनकी माप प्रादेश (१ बीता) के बराबर लकड़ी होनी चाहिए और सभी लकडी में और सामग्री मे घी लगा ले तब हवन करे -                         गूलर समिधा - ॐ कं स्वाहा  ॐ कं कं स्वाहा
चिचड़ी समिधा - ॐ खं स्वाहा ॐ खं खं स्वाहा
कत्था समिधा- ॐ गं स्वाहा  ॐ गं गं स्वाहा
पाकड़ समिधा-  ॐ घं स्वाहा  ॐ घं घं स्वाहा
बट समिधा- ॐ ङं स्वाहा बट - ॐ ङं ङं स्वाहा
पीपल समिधा -ॐ चं स्वाहा  ॐ चं चं स्वाहा
पलास समिधा -ॐ छं स्वाहा ॐ छं छं स्वाहा
मदार समिधा- ॐ जं स्वाहा  ॐ जं जं स्वाहा
आम समिधा- ॐ झं स्वाहा ॐ झं झं स्वाहा 
कुश समिध- ॐ ञं स्वाहा ॐ ञं ञं स्वाहा 
सफेद दूब ॐ टं स्वाहा ऊँ टं टं स्वाहा 
मालती पुष्प- ॐ ठं स्वाहा ऊँ ठं ठं स्वाहा 
बेलपत्र- ॐ डं स्वाहा ऊँ डं डं स्वाहा 
मदार पुष्प ॐ ढं स्वाहा ऊँ ढं ढं स्वाहा 
पलास पुष्प- ॐ णं स्वाहा ऊँ णं णं स्वाहा 
तिल- ॐ तं स्वाहा ऊँ तं तं स्वाहा 
वरा (बटक)-ॐ थं स्वाहा ऊँ थं थं स्वाहा 
चावल चूर्ण- ॐ दं स्वाहा ऊँ दं दं स्वाहा 
गेहूं का आटा-ॐ धं स्वाहा ऊँ धं धं स्वाहा 
सेंधा नमक- ॐ नं स्वाहां ऊँ नं नं स्वाहा 
उड़द दही- ॐ पं स्वाहा ऊँ पं पं स्वाहा 
उड़द दही- ॐ फं स्वाहा ऊँ फं फं स्वाहा 
पीली सरसों- ॐ बं स्वाहा  ऊँ बं बं स्वाहा            जामुन - ॐ भं स्वाहा ॐ भं भं स्वाहा 
मुलेठी - ॐ मं स्वाहा ॐ मं मं स्वाहा 
उडद दही - ॐ यं स्वाहा ॐ यं यं स्वाहा 
जव - ॐ रं स्वाहा ॐ रं रं स्वाहा 
सेंधा नमक - ॐ लं स्वाहा ॐ लं लं स्वाहा 
गुग्गुल- ॐ वं स्वाहा ॐ वं वं स्वाहा 
पीली सरसो - ॐ शं स्वाहा ॐ शं शं स्वाहा 
उडद दही - ॐ षं स्वाहा ॐ षं षं स्वाहा             तिल - ॐ सं स्वाहा ॐ सं सं स्वाहा                गुड - ॐ हं स्वाहा ॐ हं हं स्वाहा                     जव - ॐ क्षं स्वाहा ॐ क्षं क्षं स्वाहा                 उक्त हवन के पश्चात् इन्द्रादि दस दिक्पालों, नवग्रहों, महाविद्या देवता, क्षेत्रपाल को बलि प्रदान करें।
दिक्पाल बलिदानम्
ॐ इन्द्रादि-दशदिक्पालेभ्यः साङ्गेभ्यः सायुधेभ्यः सशक्तिकेभ्यः एतान् सदीपान् दधिमाषभक्त बलीन् समर्पयामि । कहकर सामने अक्षत पुष्प जल गिरा देवे तथा हांथ जोड़कर प्रार्थना करे -
भो भो इन्द्रादि-दशदिक्पालाः दिशं रक्षत बलि भक्षत मम सपरिवारस्य आयुः कर्त्तारः, क्षेम कर्तारः शांतिकर्त्तारः तुष्टिकर्तारः पुष्टि कर्त्तारः वरदा भवत
हाथ में जल लेकर- एभिर्बलिदानैः इन्द्रादिदशदिक्यालाः प्रीयन्ताम्- कहकर जल सामने गिरा देवे  
नवग्रहबलिप्रदानम्
उक्त विधि से नौ ग्रहों के लिए बलि सजाकर सामने रखकर हाथ में जलाक्षत लेकर - ॐ सूर्यादि नवग्रहेभ्यः सायुधेभ्यः सशक्तिकेभ्यः एतं सदीपं दधिमाषभक्त बलिं समर्पयामि। (पढ़ कर अक्षत पुष्प जल सामने गिरा देवे तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना करे)
भो भो सूर्यादि नवग्रहाः बलिं भक्षध्वं मम सकुटुम्बस्य आयुः कर्तारः क्षेमकर्तारः शान्तिकर्तारः पुष्टिकर्तारः तुष्टिकर्त्तारः वरदा भवत। (हाथ में जल लेकर) अनेन बलिदानेन सूर्यादि ग्रहाः प्रीयन्ताम्। (जल सामने गिरा दें)
महाविद्या बलिदानम्
भगवती महाविद्या को श्वेत कूष्माण्ड की बलि प्रदान करें। यजमान अपने सामने किसी पत्तल पर कूष्माण्ड रखकर ॐ कूष्माण्ड बलये नमः इस मंत्र से गंधाक्षत, पुष्प से पूजन करे तथा क्षुरिका का भी पूजन करे तत्पश्चात् वीरासन में बैठकर क्षुरिका से कूष्माण्ड का ॐ कालिकालि बज्रेश्वरि लोहदण्डायै नमः कहते हुए छेदन करे। कूष्माण्ड छेदन के समय देखना नहीं चाहिए। कूष्माण्ड को आधे से अलग करके आधा भाग श्रीमहाविद्यायै नमः कहकर महाविद्या को समर्पित करें तथा आधे भाग को पांच भागों में विभक्त करके रोली लगाकर क्रमशः पूतनायै नमः, चरक्यै नमः, विदार्यै नमः, पापराक्षस्यै नमः, बलिभागं निवेदयामि कहकर सामने निवेदित करें तथा अवशिष्ट एक भाग को क्षेत्रपालं बलि भागं निवेदयामि- कहकर क्षेत्रपाल के बलिपात्र में रख देवें
अनेन कूष्माण्ड- बलिप्रदानेन श्रीमहाविद्या देवता प्रीयताम् कहकर जल गिरा देवें
क्षेत्रपाल बलिदानम्
बांस की डलिया. या सूप में पत्ता बिछाकर एक मिट्टी की हांडी में काली उड़द दही भात जलपात्र (जल सहित) उसके ऊपर चतुर्मुख वर्त्ति तेल का दीपक रखकर ॐ क्षेत्रपालाय नमः कहते हुए जल, काला वस्त्र, रोली, सिन्दूर, फूल, माला, धूप, दीप, मिष्ठान्न, फल एवं दक्षिणा चढ़ाकर पूजन करके प्रार्थना करे
क्षेत्रपाल महाबाहो महाबल पराक्रम । क्षेत्राणां रक्षणार्थाय बलिं नय नमोऽस्तुते।।
हांथ में अक्षत जल लेकर - ॐ क्षौं क्षेत्रपालाय संगाय भूत- प्रेतपिशाच-डाकिनी-शाकिनी-पिशाचिनी-मारीगणबेतालादि परिवार-सहिताय सायुधाय सशक्तिकाय सवाहनाय इमं सचतुर्मुखदीपदधिमाषभक्त बलिं समर्पयामि। (अक्षत जल. सामने गिरा देवे)
प्रार्थना- (हाथ जोड़कर प्रार्थना करे)
भो क्षेत्रपाल क्षेत्रं रक्ष बलिं भक्ष मम आयुः कर्ता क्षेमकर्त्ता शांतिकर्ता पुष्टिकर्ता तुष्टिकर्ता वरदो भव   / acharyanarendrashukla  
  / acharyanarendrashukla                  #dasmahavidya
#dasmahavidyakavach
#dasamahavidhya
#dasamahavidyastotra 
#kavach
#kavacham
#stotram
#दसमहाविद्यास्तोत्र                   #दशमहाविद्या #mahavidya #chhinnamasta #shaktis  #bhuvaneshvari #mahavidyas  #महाविद्याहवन 

Комментарии

Информация по комментариям в разработке