अमावा राज, बिहार के नालंदा मे है।
मगध,मुंगेर और दक्षिण बिहार के भूमिहारों (Babhan) ने अपने दम पर मुसलमानों और अंग्रेजों से लड़ते हुऐ यहां जमींदारी और अपना राज्य स्थापित किया था उनही मे से एक था अमावा राज जो गया के टिकारी राज के अंदर आता था , अमावा राज ने पश्चिमी पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) से आए हुए मायी मुसलमानो से जो राजपूतों के मायी वंश से मुसलमान बने थे उनसे संघर्ष किया , कामगार खान के नेतृत्व में मायी मुस्लिम बहुत शक्तिशाली थे।
कामगार खान को बंगाल के नवाब मीर कासिम, अवध के नवाब और दिल्ली के बादशाह शाह आलम का समर्थन प्राप्त था।
वही भूमिहारों की तरफ से टिकारी के राजा को अमावा के राजा, उत्तर बिहार के कुछ भूमिहार जमींदार झारखंड से खरगडीहा के भुमिहार राजा और झारखंड हजारीबाग क्षेत्र के कुछ आदिवासी घटवालों और राजपूत जमींदारों का समर्थन प्राप्त था।
कामगर खान का राज नवादा के हिसुआ से लेकर पूर्व में हजारीबाग , गिरिडीह तक फैला हुआ था बक्सर के युद्ध होने से पहले सोन नदी से लेकर पूरे ऊतरी झारखंड, नवादा , कोदेरमा , मुंगेर और गिरिडीह तक का इलाका सांप्रदायिक संघर्ष का केंद्र था जो कि गया के टिकारी राज और कामगार खान के बीच हो रहा था ,
नवादा, जमुई, कोडरमा का इलाका संघर्ष का केंद्र था, वहां के जंगली इलाकों में आज भी कई भूमिहारों के गांव मिल जाएंगे जो उस दौर में नवादा से पलायन कर कोडरमा गिरिडीह, चतरा, देवघर और संथाल परगना ज़िलो मे बसे थे। आज भी नवादा, नालंदा ,देवघर और जमुई के इलाके(Jungleterry region ) में भूमिहारो के गांव में गढ़ और गरही मिल जाते हैं
अमावा राज ने मुसलमान के साथ मराठों से भी संघर्ष किया मराठऐ बंगाल के मुर्शिदाबाद जाने के लिए दक्षिण बिहार का रास्ता ही चुनते थे और उनके रास्ते में टिकारी राज , मकसूदपुर राज, अमावा, जैसी भूमिहार जामिन्दारी आती थी,
कुछ भूमिहार बंगाल के मुस्लिम सल्तनत के ऊपर मराठा रेड (बार्गी raid) का समर्थन करते थे और कुछ मराठा रेड के खिलाफ थे क्योंकि मराठे हर किसी पे बहुत अत्याचार करते थे, अमावा ने मराठों से भी अपने साम्राज्य को बचाए रखा ,
बक्सर का युद्ध समाप्त होने के बाद बंगाल, अवध और दिल्ली के मुगल सल्तनत को अंग्रेजों ने और दक्षिण बिहार में कामगार खान की पूरी सल्तनत को भूमिहारो ने खत्म कर दिया उसका पोता अकबर अली खान बचा जो राजा बनारस के भुमिहार राजा चैट सिंह के विद्रोह के बाद मारा गया और गंगा के साउथ का पूरा इलाका जो सोन नदी से लेकर राजमहल तक का क्षेत्र था भूमिहारों के नियंत्रण में आ गया
अमावा राज , पटना, नालंदा और पुरानी मुंगेर इलाके की बहुत बड़ी भूमिहार जमिन्दारी थी जो पटना से लेकर मधेपुरा, नवगछिया, बनेली(पूर्णिया), भागलपुर, और बंगाल के मालदा तक फैला हुआ था,
अयोध्या और वृंदावन में भी अमावा राज की संपत्ति थी यहां तक कि अयोध्या में पंडित भी अमावा राज से जाते थे
अमावा राज्य के किले के अंदर एक बहुत बड़ा दुर्गा मंदिर है जो काफी प्रसिद्ध है, माना जाता है कि पुराने जमाने में वहां बहुत धूमधाम से मां दुर्गा की पूजा होती थी और आज भी होती है यह बात अलग है कि अब जमीदारी उन्मूलन के बाद जमींदार नहीं रहे लेकिन दुर्गा पूजा आज भी होती है और उनकी विरासत आज भी यहां खड़ी है..
यह सभी बातें आधुनिक इतिहास में नहीं डाली गई लेकिन भला हो अंग्रेज , फ्रांसीसी और मुसलमान लेखकों का जिन्होंने इन सभी को अपनी लाइब्रेरी और ब्रिटिश और चीव म्यूजियम में अभी भी संभाल कर रखा है।
Content By- Amiket Sharma
Voice By- Rj Abhinandan
Video Editing By- Shashi Shekhar
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