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Скачать или смотреть कौशाम्बी के कड़ा धाम की महिमा | Kaushambi Kahaa Dhaam Documentry || February 21, 2021 ||

  • PRATAPGARH EXPRESS
  • 2021-02-21
  • 288
कौशाम्बी के कड़ा धाम की महिमा | Kaushambi Kahaa Dhaam Documentry || February 21, 2021 ||
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Описание к видео कौशाम्बी के कड़ा धाम की महिमा | Kaushambi Kahaa Dhaam Documentry || February 21, 2021 ||

कड़ा धाम | Kada Dhaam

कड़ा धाम: औरंगजेब ने भी मानी थी मां से हार, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं इच्छाएं


कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब ने भी मां शीतलाधाम कड़ा की शक्ति को देखकर हार मान ली थी, साथ ही मां के मंदिर के लिए जमीन दी थी

देश के 51 शक्तिपीठों में शामिल उत्तर प्रदेश में कौशाम्बी के शीतलाधाम कड़ा में लगने वाला शारदीय नवरात्र मेला दुनिया भर में प्रसिद्ध है। नवरात्र का यह मेला पूरे नौ दिन तक चलता है। मेले में देश भर से शक्ति उपासक आते हैं और मां की आराधना करते हैं। कट्टर मुस्लिम शासक औरंगजेब ने भी माता की शक्ति को देखकर हार मान ली थी और मां के मंदिर के सरकारी जमीन उपलब्ध करवाई थी। भक्तों की मान्यता है कि यहां आकर जो भी मांगा जाता है वह जरूर पूरा होता है

यहां गिरा था मां सती का हाथ, बना शक्तिपीठ

सैंकडों साल से शीतलाधाम कड़ापीठ शक्ति उपासकों का केन्द्र रहा है। यह पीठ इलाहाबाद से 65 किमी दूर पश्चिमोत्तर भाग में पाप विनासिनी पूर्ण प्रदायनी गंगा के किनारे स्थित है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव की भार्या सती ने जब अपने पिता दक्ष के अपमान को सहन न कर पाने की स्थिति में यज्ञ कुण्ड में कूदकर प्राण त्याग दिया तो उनके वियोग से आक्रोशित भगवान शिव सती का शव लेकर सभी लोको में भ्रमण करने लगे। उनके क्रुद्ध रूप को देखकर तीनो लोकों में हलचल मच गई। देव मनुष्य सभी प्राणी भयभीत हो गए। तब शिव के क्रोध से बचने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर के 51 टुकड़े कर दिए। सती के शव के ये टुकड़े जहां भी गिरे वहीं एक शक्तिपीठ स्थापित कर दिया गया।

इसी क्रम में कराकोटम जंगल में जिस स्थान पर सती का हाथ गिरा उस स्थान का नाम करा रख दिया गया जो बाद में अपभ्रंश होकर कड़ा हो गया। अब इसे कड़ा धाम के नाम से पूरे देश में जाना जाता है। माना जाता है कि द्वापर युग में पाण्डु पुत्र युधिष्ठिर अपने वनवास समय में कड़ा धाम देवी दर्शन के लिए आए। यहां उन्होंने गंगा के किनारे शीतलादेवी का मंदिर बनवाया और महाकालेश्वर शिवलिंग की स्थापना की। वर्तमान में मां शीतला देवी का मंदिर भव्य स्वरूप ले चुका है।

जल चढ़ाने पर पूरी होती है हर इच्छा

यहां हर वर्ष दोनों नवरात्रियों के अवसर में यहां बडा मेला लगता है। जिसमें देश भर से लाखो शक्ति उपासक कड़ा धाम आकर पवित्र गंगा में डुबकी लगाते है और मां शीतला के दरबार जाकर मनोवांछित फल पाते है। मेले में आए श्रद्धालु सुख, शान्ति एवं मनोकामनापूर्ण होने के लिए मां शीतला देवी के चरणो के समीप स्थित जलहरी कुण्ड को भरते है। चमत्कारिक बात यह है कि यदि कोई श्रद्धालु अहंकार के साथ दूध या गंगाजल से कुण्ड को भरना चाहे तो जलहरी नही भर सकता। जलहरी भर जाना देवी के प्रसन्न्ता का प्रतीक माना जाता है।

कड़ा धाम के 15 किमी के दायरे में स्थित गांवों मे आज भी छोटी चेचक व बड़ी चेचक की बीमारी को छोटी या बड़ी माता कहा जाता है। मां शीतला पर यहां के लोगों की इतनी आस्था है कि लोग छोटी चेचक व बड़ी चेचक से प्रभावितरोगी के ऊपर जलहरी का जल डालते है तो रोगी ठीक हो जाता है। यहां लोगों का विश्वास है जो श्रद्धालु भक्ति भावना से मां के दरबार में माता टेकता है उसे सबकुछ मिलता है।

मुस्लिम शासक औरंगजेब ने भी मानी थी हार

मां शीतला के भय से ही औरंगजेब जैसे कट्टर मुस्लिम बादशाह ने भी हार मान ली थी। उसने यहां पर माता के मन्दिर के लिए भूमि उपलब्ध कराई थी, जिस पर बाद में भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। कौशाम्बी देवी के दरबार में श्रद्धालु नारियल, बताशा, चुनरी, ध्वज पताका एवं निशान के अलावा आभूषण एवं वस्त्र भेंटकर मन्नते मांगते हैं।

कैसे पहुंचे शीतला धाम कड़ा

इलाहाबाद-कानपुर से ट्रेन द्वारा सिराथू रेलवे स्टेशन उतरकर वहां से टैक्सी द्वारा कड़ा धाम पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग दो से यात्रीगण राज्य परिवहन निगम की बसों से सैनी बस अड्डे उतरकर टैक्सी द्वारा कड़ा पहुंचते है। समर्थ भक्त श्रद्धालु अपने निजी वाहनों से भी कड़ा धाम पहुंचते हैं।

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