जाग पियारी अब का सोवे,
हे आत्मा (प्रिय), अब और कितनी देर सोती रहेगी? अब जागो — यह समय सोने का नहीं है।
रैन गई दिन काहे को खोवे,
रात (जीवन का आधा हिस्सा) बीत गई, अब बचे हुए दिन (समय) को व्यर्थ क्यों गंवाती हो?
भावार्थ:
जीवन का बहुत बड़ा भाग बीत चुका है, अब शेष समय को पहचान कर आत्मज्ञान में लगो।
जिन जागा तिन मानिक पाया,
जिन्होंने जागृति पाई (ज्ञान पाया), उन्होंने ही सच्चा रत्न (सत्य, मुक्ति) प्राप्त किया।
तै बौरी सब, सोय गवाया,
और तू मूर्ख (माया में डूबी हुई) सोती रही, इसलिए जीवन का असली धन खो दिया।
भावार्थ:
जो व्यक्ति सचेत रहता है, वही जीवन का असली खज़ाना पाता है — बाकी सब नींद (अज्ञान) में खो देते हैं।
पिया तेरे चतुर, तू मूरख नारी,
तेरे प्रिय (परमात्मा) बुद्धिमान हैं, पर तू अज्ञान और माया में फँसी नारी (आत्मा) है।
कबहुं ना पिय की सेज सवारी,
तूने कभी उस प्रिय की शय्या (संग) को नहीं जाना, न ही उसके प्रेम में डूबी।
भावार्थ:
आत्मा परमात्मा से मिलने की क्षमता रखती है, पर अज्ञान और अहंकार के कारण उसे पहचान नहीं पाती।
तैं बौरी बौरापन किन्हीं,
तूने ही अपनी मूर्खता से अपने आपको भटका लिया है।
भर जोबन, पिय अपन न चीन्हीं,
जवानी और जीवन के श्रेष्ठ समय में भी तू अपने प्रिय (ईश्वर) को नहीं पहचान पाई।
भावार्थ:
मनुष्य अपने सर्वश्रेष्ठ समय (यौवन, सामर्थ्य) में भी सत्य से दूर रहता है — यही सबसे बड़ी मूर्खता है।
जाग देख, पिया सेज ना तेरी,
अब जाग जा और देख — वह प्रिय (ईश्वर) तेरे पास नहीं है।
तोहि छांड़ि, उठि गये सबेरे,
वह तुझे छोड़कर भोर में जा चुका है — यानी समय निकल गया, अवसर हाथ से चला गया।
भावार्थ:
जीवन का अवसर हाथ से निकलने से पहले ही जाग जाओ; वरना मृत्यु (भोर) आने पर कोई साथ नहीं देता।
कहत कबीर, सोई धुन जागे,
कबीर कहते हैं — वही सच्चा साधक जागा कहलाता है, जो अपने भीतर की धुन (शब्द / नाम) को पहचान लेता है।
शब्द बान, उर अंतर लागे,
जब उस शब्द (ईश्वर का नाम / सत्य का स्वर) का बाण हृदय के भीतर लगता है, तभी असली जागरण होता है।
भावार्थ:
जब मनुष्य के भीतर शब्द (नाम) की अनुभूति होती है — तब ही उसका अज्ञान मिटता है और वह सच्चे अर्थों में "जाग्रत" कहलाता है।
सारांश (समग्र भावार्थ):
यह भजन आत्मा को जगाने की पुकार है —
जीवन का समय सीमित है, रात (अज्ञान) बीत गई है,
अब जागो और अपने "प्रिय" (परमात्मा) को पहचानो।
जिसने भीतर की धुन, शब्द या सत्य को पहचान लिया — वही सच्चा जाग्रत है।
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