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Скачать или смотреть सुभद्रा कुमारी चौहान : असहयोग आंदोलन में सक्रियता एवं देशप्रेम से सम्बन्धित रचनाएं।

  • HISTORY WITH ANEESH KHAN
  • 2023-12-03
  • 146
सुभद्रा कुमारी चौहान : असहयोग आंदोलन में सक्रियता एवं देशप्रेम से सम्बन्धित रचनाएं।
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📓 कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान : असहयोग आंदोलन में सक्रियता एवं देशप्रेम से सम्बन्धित रचनाएं📓

🕳भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सक्रिय कार्यकर्ता हिंदी की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान का व्यक्तित्व बहुआयामी है।
🕳इनका जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में 1904 में हुआ था।
🕳 इनके पिता का नाम ठाकुर रामनाथ सिंह था।
🕳इनका विवाह प्रसिद्ध राष्ट्रीय कार्यकर्ता लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ था।
🕳कॉलेज के दिनों में ही महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1921 में संपन्न हुए असहयोग आंदोलन में उन्होंने हिस्सा लिया एवं कालेज छोड़ दिया ।
🕳 उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
🕳आप विवाह के उपरांत विदेश सेवा एवं साहित्य सेवा में लगी रहीं।
🕳 1948 में अप्रैल महीने में नागपुर के समीप एक मोटर दुर्घटना में उनका निधन हो गया।
🕳 सुभद्रा कुमारी चौहान जिस समय साहित्य लिख रहीं थीं वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का समय था। इसलिए उनकी कविताओं में समसामयिक विषयों को महत्व मिला।
🕳एक तरफ़ हम उनकी रचनाओं में अंग्रेजी शासन के प्रति घृणा, अवज्ञा एवं तिरस्कार उनके रचनाओं में देखने को मिलता है वहीं दूसरी तरफ उनके द्वारा भारती नवयुवकों को भारत के प्राचीन गौरव से अवगत कराने के उद्देश्य से प्राचीन ऐतिहासिक पौराणिक पात्रों की महिमा का बखान करती हैं।

🕳 देशप्रेम और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत जलियांवाला बाग, झांसी की रानी, वीरों का कैसा हो वसन्त,राखी, विजयदशमी,विदा आदि उनकी कविताओं ने भारतीय नवयुवकों के कानों में स्वतंत्रता की शंख ध्वनि बनाने में समृद्ध सिद्ध हुई और उनकी पुकार पर देश के स्वतंत्रता संग्राम करने के इच्छुक नवयुवक अपनी कमर कस कर समरांगण में कूद पड़े।

🕳जलियांवाला बाग़ कविता के कुछ अंश👉
"कोमल बालक मरे यहां गोली खाकर
कलियां उनके लिए गिरावें कुछ लाकर
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं
अपने प्रिय परिवार देश से भिन्न हुए हैं।"

🕳 जलियांवाला बाग में मानवता को कंपित करने वाला भयंकर नरसंहार मानवता के नाम पर कलंक था। जनरल डायर को केन्द्र बनाकर प्रस्तुत की गई कविता यह दिखाया गया है कि उसमें उस क्रूर एवं निष्ठुर अफसर ने बालकों को तक नहीं बख्शा है एवं उन्हें गोली का शिकार बना दिया है।

🕳 कवयित्री सुभद्रा की कविताओं राष्ट्रीयता कूट -कूट कर भरी हुई थी।
एक उदाहरण प्रस्तुत है झांसी की रानी कविता के कुछ अंश के माध्यम से 👉
" चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी ,
बुन्देल हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।"

🕳 सुभद्रा कुमारी चौहान का हृदय करूणा, निराशा, ममत्व, निर्भयता और राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत था जो सहज ही उनके व्यक्तित्व एवं रचनाओं में देखने को मिलता है।

🕳निष्कर्ष👉 सुभद्रा कुमारी चौहान का देशप्रेम देखते ही बनता है उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया असहयोग आंदोलन में शामिल हुई और कई बार जेल भी गयीं। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को स्वाधीनता के लिए उत्साहित किया एवं अपने पूर्वजों जिन्होंने देश की सेवा में स्वयं को अर्पित किया था उनको अपनी वीर रस की कविताओं के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का काम सराहनीय है।
सुभद्रा कुमारी चौहान के इन सब योगदानों के लिए भारतवासी सदैव उनके ऋणी रहेंगे।

🛡 अनीश खां 🛡

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