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  • SAI NEWS
  • 2025-07-23
  • 62
जानिए देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्र
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Описание к видео जानिए देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न मंत्र

भगवान शिव की असीम कृपा पाने का मार्ग है भगवान शिव का प्रिय श्रावण महीना
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सावन का महीना सनातन धर्म में सबसे पवित्र महीना है। यह महीना देवाधिदेव महादेव संपूर्ण ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव को बहुत प्रिय है। साथ ही शास्त्रों में सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। यही कारण है कि सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन का महत्व काफी बढ़ जाता है।
सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन रखा जाने वाला व्रत सोमवार व्रत के नाम से जाना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने, मनोकामनाएं पूर्ण करने और जीवन में सुख-शांति लाने के लिए किया जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी लड़कियां योग्य वर की प्राप्ति के लिए।
श्रावण मास भगवान भोलेनाथ का प्रिय माह माना जाता है। इस माह में अगर आप देवाधिदेव महादेव ब्रम्हाण्ड के राजा भगवान शिव की अराधना करते हैं तो भोलेनाथ बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। अगर आप भोलेनाथ के भक्त हैं तो कमेंट बाक्स में हर हर महादेव जरूर लिखिए।
सावन सोमवार व्रत शिव भक्तों के मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है। सावन सोमवार के दिन व्रत रखकर भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस दिन शिव जी को जल अर्पित करना शुभ फलदायी होता है। सावन सोमवार के दिन जलाभिषेक, रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठान करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
सावन मास में, विशेष रूप से सोमवार को, हिंदू भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं। अविवाहित लड़कियाँ भी आदर्श जीवनसाथी की कामना के लिए गहरी श्रद्धा के साथ सावन सोमवार का व्रत रखती हैं।
ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र व्रत नकारात्मक ऊर्जाओं, बीमारियों और आर्थिक तंगी को दूर करने में मदद करता है। यह स्वास्थ्य समस्याओं, संतान संबंधी चिंताओं और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। इस दिन, भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाकर और श्रद्धा स्वरूप बेलपत्र चढ़ाकर पूजा करते हैं। इस वर्ष सावन महीने की शुरुआत 10 जुलाई 2025 से हुई थी, जिसका समापन 9 अगस्त 2025 को होगा। सावन की शुरुआत और समाप्ति दोनों सोमवार के दिन ही होगी।
सोमवार व्रत का महत्व जानिए,
सोमवार व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
आईए जानते हैं सोमवार व्रत कथा के बारे में,
सोमवार व्रत के महत्व को बताने वाली कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक अत्यंत प्रसिद्ध कथा इस प्रकार है:
बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसके पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उसे एक बात का बहुत दुख था - उसके कोई संतान नहीं थी। इसी दुख के कारण वह व्यापारी बहुत उदास रहता था।
एक दिन व्यापारी भगवान शिव की शरण में गया और पुत्र प्राप्ति के लिए सोमवार का व्रत रखना प्रारंभ कर दिया। वह पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ हर सोमवार को भगवान शिव का व्रत करता और विधिवत पूजा-अर्चना करता। उसकी भक्ति और निष्ठा से प्रसन्न होकर एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा, हे प्रभु! यह व्यापारी आपका सच्चा भक्त है और कई समय से पुत्र प्राप्ति के लिए आपकी आराधना कर रहा है। कृपया इसकी मनोकामना पूर्ण करें।
भगवान शिव ने माता पार्वती की बात सुनकर कहा, देवी! हर किसी के भाग्य में संतान सुख नहीं होता। इस व्यापारी के भाग्य में संतान नहीं है। माता पार्वती ने पुनः आग्रह किया, प्रभु! आपकी कृपा से सब कुछ संभव है। आप इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दें।
तब भगवान शिव ने माता पार्वती के अनुरोध पर व्यापारी को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि यह पुत्र केवल बारह वर्ष तक ही जीवित रहेगा।
कुछ समय बाद व्यापारी के घर पुत्र का जन्म हुआ, जिससे पूरे घर में खुशियां छा गईं। व्यापारी और उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुए। जब पुत्र ग्यारह वर्ष का हुआ, तो व्यापारी ने उसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए काशी भेजने का निर्णय लिया। पुत्र अपने मामा के साथ काशी के लिए रवाना हुआ। रास्ते में वे जहां भी रुकते, वहां यज्ञ और दान-पुण्य करते।
एक दिन वे एक नगर से गुजर रहे थे, जहां एक राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। वर लंगड़ा होने के कारण उसके माता-पिता ने सोचा कि क्यों न कुछ समय के लिए इस तेजस्वी बालक को वर के रूप में प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने व्यापारी के पुत्र से निवेदन किया और वह तैयार हो गया। विवाह संपन्न हुआ।
विवाह के बाद जाते समय, व्यापारी के पुत्र ने दुल्हन के दुपट्टे पर एक पंक्ति लिख दीः मैं तो ब्राह्मण हूं और मुझसे तुम्हारा विवाह छल से कराया गया है। मेरा जीवन केवल बारह वर्ष का है। दुल्हन ने जब यह पढ़ा तो उसने अपने माता-पिता को यह बात बताई। राजा को जब यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ।
उधर, व्यापारी का पुत्र अपने मामा के साथ आगे बढ़ गया। काशी में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की और जब पुत्र बारह वर्ष का हुआ, तो उसकी मृत्यु हो गई। मामा को बहुत दुख हुआ। उसी समय भगवान शिव और . . .
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