Logo video2dn
  • Сохранить видео с ютуба
  • Категории
    • Музыка
    • Кино и Анимация
    • Автомобили
    • Животные
    • Спорт
    • Путешествия
    • Игры
    • Люди и Блоги
    • Юмор
    • Развлечения
    • Новости и Политика
    • Howto и Стиль
    • Diy своими руками
    • Образование
    • Наука и Технологии
    • Некоммерческие Организации
  • О сайте

Скачать или смотреть उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।।

  • Mankhi ki kalam se
  • 2025-09-11
  • 270
उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।।
  • ok logo

Скачать उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।। бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

У нас вы можете скачать бесплатно उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।। или посмотреть видео с ютуба в максимальном доступном качестве.

Для скачивания выберите вариант из формы ниже:

  • Информация по загрузке:

Cкачать музыку उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।। бесплатно в формате MP3:

Если иконки загрузки не отобразились, ПОЖАЛУЙСТА, НАЖМИТЕ ЗДЕСЬ или обновите страницу
Если у вас возникли трудности с загрузкой, пожалуйста, свяжитесь с нами по контактам, указанным в нижней части страницы.
Спасибо за использование сервиса video2dn.com

Описание к видео उत्तराखण्ड के गंगाड़ी ब्राह्मण जाति का इतिहास।।। उत्तराखण्ड।।। ब्राह्मण।।। Cast system।।।

गंगाड़ी ब्राह्मण सरोला व गंगाड़ी ब्राह्मणों में दाल-भात तथा शादी-ब्याह के अलावा कोई भेद नहीं है। गंगाड़ का सामान्य अर्थ गंगा (शाखाएं भी) के किनारे वाले क्षेत्र से है। गंगाड़ में रहने वाले लोग गंगाड़ी तथा वहां के ब्राह्मण गंगाड़ी ब्राह्मण कहलाते हैं। सरोला लोग गंगाड़ी ब्राह्मणों द्वारा बनाया गया भात-दाल नहीं खाते हैं तथा इसी वजह से इनके बीच शादी-ब्याह नहीं होते हैं। सरोला प्रथा का उल्लंघन करने तथा सरोला प्रथा निर्धारण के पश्चात् बाहर से आए ब्राह्मणों को गंगाड़ी ब्राह्मण कहा गया था। माना जाता है कि चाँदपुर नरेश अभयपाल ने चौदहवीं सदी के आसपास सरोला प्रथा को मान्यता दी थी। उस समय रोटी भी सरोला ब्राह्मणों द्वारा पकाई जाती थी, बाद में रोटी को शुचि माना गया। संभवतः ब्राह्मणों को सैन्य बल में रखकर सेना में योगदान के लिए ही ब्राह्मणों को रस्वाल (रसोइया) जो बाद में अपभ्रंश होकर सरोला बना, बनाया गया था। राजा महीपतिशाह (1629-46 ई.) ने तिब्बत पर चढ़ाई की थी तथा वहां ठंडे में धोती पहनकर सरोला ब्राह्मणों को भोजन पकाना पड़ा था, जिसमें कठिनाई हुई। बाद में अन्य जातियों को भी सरोला की मान्यता दी गई। जब इनसे भी भोजन पकाना कठिन हो गया तब रोटी को शुचि समझा गया तथा सरोला ब्राह्मणों को भात-दाल के लिए ही सरोला समझा गया।'

Комментарии

Информация по комментариям в разработке

Похожие видео

  • О нас
  • Контакты
  • Отказ от ответственности - Disclaimer
  • Условия использования сайта - TOS
  • Политика конфиденциальности

video2dn Copyright © 2023 - 2025

Контакты для правообладателей [email protected]