Navratri Day 3 - Devi

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि नवरात्रि में नौ दुर्गा की उपासना नौ दिनों तक विभिन्न रूपों में करते हैं।
तीसरे दिन देवी के स्वरूप को चन्द्रघण्टा कहते हैं।

चंद्रघंटा माता के नाम का अर्थ इस प्रकार है चंद्र मतलब चंद्रमा और घंटा मतलब घंटा के समान। उनके माथे पर चमकते हुए चंद्रमा के कारण ही उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा । इन्हें चंद्रखंडा नाम से भी जाना जाता है ।

देवी का यह स्वरूप भक्तों के भीतर साहस और वीरता का एहसास कराता है। साथ ही उनका यह स्वरूप शुक्र ग्रह को भी प्रभावित करता है अतः पति - पत्नी के बीच के तनाव को भी हरता है। जो भी भक्त देवी के इस स्वरूप का पूजन करते हैं उनके घर मे सुख समृद्धि व शांति का आगमन होता है।
कहते हैं कि देवी चंद्रघंटा माता पार्वती का ही रौद्र रूप है । लेकिन उनका यह रूप तभी दिखता है जब भी क्रोधित होती हैं अन्यथा माता बहुत ही शांत स्वभाव की हैं ।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा गया कि जब शिवजी किसी से विवाह नहीं करना चाहते थे तो यह बात माता पार्वती को बहुत बुरा लगी थी । तब देवी ने घोर तपस्या की थी। उनकी इस हालत ने भगवान को विवाह करने के लिए बाध्य कर दिया। भगवान शिव बारात लेकर जब राजा हिमावन के यहां पहुंचे तो उनके बरात में जीव, जंतु, अघोरी, भूत इत्यादि ही शामिल थे । उनके इस भयंकर बारात को देखकर उनकी मां मैना देवी डर के मारे बेहोश हो गई थीं। तब देवी ने परिवार वालों को शांत किया और भगवान शिव के सामने चंद्रघंटा स्वरूप में पहुंची । उसके बाद उन्होंने शिवजी को प्यार से समझाया और दूल्हे के सुंदर रूप में आने की विनती की।

तब शिव जी देवी के बातों को समझ गए थे और अपने को कीमती रत्नों से विभूषित किया था ।।

आप का बीज मंत्र है - "ॐ देवी चंद्रघंटाए नमः"।

देवी चन्द्रघण्टा पूजा विधि - पूजा विधि जानने और भली प्रकार समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर अवश्य जाएं।
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चंद्रघंटा का स्वरूप - मां चंद्रघंटा शेरनी की सवारी करती हैं और उनका शरीर सोने के समान प्रदीप्त है । उनकी दस भुजाएं हैं । उनके बाएं चार भुजाओं में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल विभूषित है । वहीं पांचवा हाथ वर मुद्रा में है ।

माता की चार अन्य भुजाओं में कमल, तीर, धनुष और जप माला है तथा पांचवा हाथ अभय मुद्रा में है । माता का अस्त्र-शस्त्र से विभूषित यह रूप युद्ध के समय देखने को मिलता है। माता का यही स्वरूप भक्तों को युद्ध में विजय दिलाता है। घण्टे की हूंकार से बड़े बड़े शत्रु ढेर हो जाते हैं।

नीचे दिए गए साईकल प्योर के इस लिंक पर जाकर यह श्री दुर्गा सप्तशती मधुर पाठ सुनें
   • Devi Kavach | श्री दुर्गा सप्तशती पाठ...  

माँ चन्द्रघण्टा अपने सभी भक्तों पर कृपा करें।।

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