श्राद्ध पक्ष में गीता पाठ(Pitra dosh) | Shradh 2018 | Pt. Suresh Shrimali

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श्राद्ध पक्ष में गीता पाठ
अंतर है मृत्यु और मोक्ष में, मृत्यु पुनर्जन्म की समवाहक है और मोक्ष आत्मा का परमात्मा में पूर्ण रूप से स्थापित हो जाना। पितृपक्ष यानि श्राद्ध पक्ष के 16 दिनों में जब हम पितरों को तर्पण करते है। उन्हे तृप्त करते है। हम जिनके अंष है। जिनकी वजह से कुल परंपरा जारी है और हमारे बाद भी रहेगी। श्राद्ध कर्म उन्हीं पितरों को संतुष्ट करने का माध्यम है। श्रीमद्भगवतगीता कर्म, ज्ञान और भक्ति योग के माध्यम से जीवन का मार्ग सुगम करती है। श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रीमद्भगवतगीता के अठाराह अध्यायों का पाठ विषेष रूप से करना चाहिए। उनमें भी सप्तम अध्याय नवम् एवं द्वादष अध्याय के पाठ का महत्व ज्यादा है।
श्राद्ध कर्म पूर्ण करने के पष्चात एक आसन बिछाइए और पास में छोटा सा कलष भरकर रखिए। प्रथम श्राद्ध के दिन अर्थात पूर्णिमा के दिन जब से श्राद्ध शुरू होते है। उस दिन दाहिने हाथ में जल रखकर संकल्प लीजिए कि मैं ये गीता पाठ अपने पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति हेतु करूंगा। अब दिन है सोलह और गीता के अध्याय के अठाराह तो जिस दिन घर में हमारे पितरों का श्राद्ध होता है उस दिन दो अध्यायों का पाठ करना चाहिए। आसपास रहने वाले बुजूर्ग और घर परिवार के सदस्यों को विषेष रूप से बिठा कर गीता पाठ करना अत्यंत लाभदायी है। मित्रों ये मैं व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर कह रहा हूं कि जब भी मैने खुद को संदेह की स्थितियों में पाया गीता ने स्पष्टता दी। जब लगा कि जब हल्का सा भी स्वार्थ हावी होने लगा है तो गीता ने परमार्थ का रास्ता दिखाया। जब लगा बंधन हावी हो रहे है तो गीता मुक्ति का माध्यम बनी। सारे अहम, वहम साबित होते है भगवतगीता की शरण में जाने के बाद।
दर्षकों आप जब कोई टेबलेट लेते है तो इफैक्ट के साथ साइड इफैक्ट का भी ध्यान रखना पड़ता है और इस तरह ध्यान रखने की जरुरत एलोपेथी की टेबलेट लेते समय ज्यादा रखनी पड़ती है। जबकि आयुर्वेद में ऐसा नहीं है। इसी तरह श्रीमद्भगवतगीता का वाचन आप करेंगे पितरों के कल्याण के लिए। लेकिन स्वयं का कल्याण उसके साथ जुड़ा होगा। घर के वातावरण में एक अलग तरह की पॉजीटिव वाईब्रेषन पाएंगे। तो इस बार यह श्राद्ध पक्ष जीवन के हर एक पक्ष में दृढ़ता लेकर आए यही उस एकाकार से प्र्रार्थना करता हूं।


पितृ पक्ष | Significance & Relevance
Pitru Paksha (Sanskrit: पितृ पक्ष), also spelt as Pitru paksha or Pitri paksha is a 16–lunar day period in Hindu calendar when Hindus pay homage to their ancestor (Pitrs), especially through food offerings. The period is also known as Pitru Pakshya

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