1857 की क्रांति का माहान नायक राव तुला राम Rao Tula Ram

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रेवाड़ी के राजा राव तुलाराम वह शख्सयित थे, जिन्हों ने आजादी के पहले स्वाधीनता संग्राम मे अहम योगदान दिया था. अंग्रेजों के साथ एक ही युद्ध मे राज राव तुलाराम की सेना के लगभग पांच हजार सैनिक शहीद हुए थे.

हरियाणा का रेवाड़ी जिला जिसे अहिरवाल का लन्दन कहा जाता है और इस लन्दन के राव राजा तुलाराम थे. राव तुलाराम ने देश के लिए लड़े गए 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया था, जिसको लेकर हरियाणा के लोग 23 सितम्बर का दिन शहीदी दिवस के रूप में मनाते है और हरियाणा के साथ साथ रेवाड़ी के लोग अपने आप पर गर्व महसूस करते है कि वह ऐसी धरती पर जन्में है जिस धरती से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले राव तुलराम जन्में थे.

रेवाड़ी का रामपुरा गांव राजा राव तुलाराम की रियासत हुआ करती थी और उनकी रियासत में पूरा दक्षिण हरियाणा आता था. राजा राव तुलाराम का जन्म 9 दिसम्बर 1825 को रेवाड़ी के रामपुरा में हुआ था और उनकी दो बड़ी बहनें थी. राव तुलाराम को तुलासिंह भी कहा जाता था. राव तुलाराम की शिक्षा तब शुरू हुई जब वो पांच साल के थे. साथ-साथ ही उन्हें शस्त्र चलाने और घुड़सवारी की शिक्षा भी दी जा रही थी. राव तुलराम जब 14 साल के थे तब उनके पिता राव पूर्ण सिंह की निमोनिया बीमारी से मृत्यु हो गई और 14 दिनों बाद उन्हें राव पूर्ण सिंह की रियासत का राजा चुना गया तब से ही तुलाराम राव राजा तुलाराम बने.

राव तुलाराम का राज्य कनीना, बवाल, फरुखनगर, गुड़गांव, फरीदाबाद, होडल और फिरोजपुर झिरका तक फैला हुआ था. राव तुलाराम अंग्रेजों के शासन से काफी परेशान थे और उनके दिल में आक्रोश की भट्टी सुलग रही थी. जब पहली बार1857 में बंगाल से क्रांति की आग लगी तो वो हरियाणा तक फ़ैल गई और दिल्ली से सट्टा अहिरवाल के क्षेत्र में ये विद्रोह और भयानक रूप से भड़क गया.
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