आज की शाम reels की जिंदगी से बाहर आकर real की जिंदगी में वक्त व्यतित करने वालों के नाम

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Instagram :- simply_shravan
समय के अभाव के कारण जल्दी जल्दी बोलना पड़ा।
सारी रचनाएं निचे दर्ज कर रहा हूं।

खुश रहो या न रहो दिखना ज़रूरी है,
भोजन स्वादिष्ट हो न हो बिकना ज़रूरी है,
बाज़ार में खड़े हैं दिल लेकर कई,
कहीं लगे न लगे , पर टूटना ज़रूरी है ,
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अपनी बीती सब सुनाने में हैं लगे,
मगर सुनने के लिए कोई ठहरा नहीं ,
जाने कहां से ये लोग आते हैं,
जो हम जैसों को सुनने आते हैं,
खुश नसीब हैं वो जिनके पास सुनने वाले होते है,
मेरी नज़र में भगवान से कम नहीं,
जो हम भक्तों की सुनते जाते हैं।
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एक बात जो कहने की थी,
वो अनकही ही रह गई,
जो जस्बात ज़ाहिर करने को थे,
वो बस ज़ेहन में रह गये,
एक अलविदा जो अधूरा छोड़ रखा था कहीं,
वो अलविदा अब किसी काम का ही नहीं,
ऐ जिन्दगी इतना तो दे हिसाब ज़रा,
तुम क्यों गुज़री जब अधूरे ख्वाब लिए था मैं खड़ा,
काश कोई वक्त का मुंह मोड़ दे,
जिंदगी तू मुझे एक मौका तो और दे,
साहिलों पर पांव रखकर एक नया पर्वत चढ़ना है,
इस सुरज की छांव में तन को तर करना है,
कुछ अधूरे ख्वाब मेरे कुछ अधूरी मंजिलें,
थोड़ा समय तो दे ऐ जिंदगी! जिंदगी जीने के लिए।
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हर राह पर मुस्कराहटें बांटता चला गया,
रूका न कभी खुद के सुकून के लिए,
आज सुकून भी मुस्कुरा रहा है मुझपर,
कि कैसा ये बागी है,
जो खुद से विद्रोह कर चला है,
ज़िन्दगी जीने की जगह,
ज़िन्दगी से जंग कर चला है।
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बात छीड़ी है तो,
बात थोड़ा शरमाएगी,
एक हंसी ख्वाब खिला है मन में,
आखिर हकिकत कब तक खैर मनाएगी।
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उसको देखना देखते रहना काफी था,
लौट आया हूं दिल में लेकर दिल की बात।

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