उत्तराखंड की सबसे लंबी बाखली,आज अपने ही अस्तित्व की लड़ाई लड़ती हुई

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कुमाँऊ में भवन निर्माण की समृद्ध परंपरा रही है। कुमाऊँ में पहले गाँव ऐसी तरह बसते थे जिसमें लंबी श्रृंखला में मकान बनाये जाते थे जिन्हें बाखली कहा जाता है। इस तरह के भवनों की तकनीक को विकसित करने का श्रेय कत्यूरी और चंद राजाओं को जाता है।
नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर से करीब 20 किमी की दूरी पर एक गाँव है कुमाटी जो आज भी कुमाँऊ की इस समृद्धशाली परंपरा को अपने में संजोए हुए है। एक वक्त कुमाटी गाँव की इस बाखली में करीब 45 से 50 परिवार एक साथ रहते थे।


बाखली बनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य आपसी प्रेम भाव और संयुक्त परिवार की परंपरा थी जो कुमाँऊ में धीरे धीरे खत्म होती चली गई और अब गाँव काफी दूर दूर बस गए है। चंद वंशीय राजाओं के समय कुमाँऊ के अधिकतर गाँव बसे पहले नदियों के किनारे ही मुख्य रूप से गाँव बसते थे। अल्मोड़ा जिले में सबसे पहले बाखली परम्परा हुआ करती थी जिसमे संयुक्त परिवार की भावना थी लेकिन धीरे धीरे यह भावना कम होने लगी।


15 जुलाई को कुमाटी गाँव में जाकर यहां रह रहे 5-7, परिव्वरों से मुलाकात की और उनका हाल चाल जाना। और उसके बाद यहां के ज्यादातर परिवार हल्द्वानी और गौलापार में बस गए हैं, 27 जुलाई को वहां जाकर उनके मन का हाल जाना।

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आपका
C.S PANDEY

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