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Скачать или смотреть सोतापन्न से आगे: सकदागामी के लक्षण और अनुभव

  • Understanding Buddha's Teachings
  • 2025-08-23
  • 299
सोतापन्न से आगे: सकदागामी के लक्षण और अनुभव
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Скачать सोतापन्न से आगे: सकदागामी के लक्षण और अनुभव бесплатно в качестве 4к (2к / 1080p)

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Описание к видео सोतापन्न से आगे: सकदागामी के लक्षण और अनुभव

१. सुत्तों में सकदागामी की परिभाषा

पाली में कहा गया है:
"Sakadāgāmī hoti, so rāgaṁ dosam mohaṁ tanuttā sakadāgāmī hoti."
— MN 22, SN 55.3 आदि

अर्थात्:
जो व्यक्ति कामराग (इन्द्रियसुख की तृष्णा) और व्यापाद (द्वेष) को बहुत हल्का (तनु = क्षीण) कर देता है, वह सकदागामी कहलाता है।

२. सोतापन्न और सकदागामी का भेद

सोतापन्न (Sotāpanna): वह जो सकाया-दिट्ठि (स्व-मान्यता), विचिकिच्छा (संदेह), सीलब्बत-परामास (व्रत-उपवास के प्रति मोह) तीन बंधनों को काट चुका हो।

सकदागामी (Sakadāgāmī): सोतापन्न होने के बाद, उसने काम-तृष्णा और द्वेष को बहुत हद तक कम कर दिया है।

३. सकदागामी की पहचान कैसे?

क्रोध और द्वेष

बहुत क्षणिक और हल्का हो जाता है।

मन जल्दी शान्त हो जाता है, बैर टिकता नहीं।

कामना और इन्द्रियसुख की लिप्सा

प्रबल नहीं रहती, हल्की और सूक्ष्म हो जाती है।

इन्द्रिय विषयों में मोह कम हो जाता है।

जीवन-व्यवहार में परिवर्तन

साधारण विषयों से मन जल्दी उकताता है।

ध्यान और आन्तरिक शांति में अधिक रुचि।

भविष्य का फल

सुत्तों में कहा गया है कि सकदागामी अधिक से अधिक एक बार मानव-जगत में जन्म लेगा, और फिर कभी कामलोक में नहीं आएगा।

४. व्यावहारिक अनुभव से कैसे जानें?

यदि साधक देखे कि उसका क्रोध, चिड़चिड़ापन, और लालसा अब भारी नहीं बल्कि बहुत हल्के हो गये हैं,

और भीतर से स्थिर शांति और सहज मैत्री बनी रहती है,
तो वह संकेत हो सकता है कि सकदागामी मार्ग में प्रवेश हुआ है।

👉 संक्षेप में:
सोतापन्न के बाद जो साधक कामराग और द्वेष को बहुत हल्का कर लेता है, वही सकदागामी कहलाता है।

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