माँ मनसा देवी के अदभुत मान्यता के साथ दर्शन ।माँ मनसा देवी मंदिर | Maa Mansa Devi Mandir Haridwar

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दोस्तों वीडियो थोड़ी लंबी हो गई है ma मनसा देवी की कथा को पूरी सुनकर और माँ मनसा देवी के दर्शन करके ज़रूर जाइएगा

हरीद्वार में माँ मनसा देवी का बहुत बड़ा मंदिर है । माँ Mansa Devi को नाग लोक की देवी भी कहा जाता है । माँ मनसा देवी भगवान शिव की पुत्री है । मनसा देवी को नाग लोक के राजा वासुकि की बहन भी माना जाता है । वो जो नाग भगवान शिव के गले में है । वही वासुकि है । माँ मनसा देवी सब की मनोकामना पूरी करने वाली देवी मानी जाती है । मनसा देवी की एक अद्भुत बात यह भी है


जो भी भक्त माँ मनसा देवी के दर्शन के लिए जाता है वह सबसे पहले हरिद्वार में गंगा नदी में स्नान करके फ़िर माता के दर्शन के लिए माता के मंदिर में जाते है । और एक हाथ में पूजा की थाली में फूलो की माला ,रोली,चूड़ी ,धूपबत्ती, नारियल ,चुनरी आदि लेकर जाते है और माता की पूजा उलटे हाथ से करते है ।

माँ मनसा देवी को भोग भी उलटे हाथ से ही लगाया जाता है । माँ मनसा देवी की पूजा भी उलटे हाथ से ही की जाती है ।जैसा की आप सब लोग जानते की की माता पार्वती ने काली का रूप धारण कर हजारो दैत्यों का सँघार क्या था । माता के इस रूप के कारण नाग लोक के राजा वासुकि की की बहन की मृत्यु हो गयी । वासुकि बहोत दुखी थे ।तब भगवान शिव ने अपने मष्तक के पर बहाव से एक कन्या को जन्म दिया ।
और उसे वासुकि को भेट दे दिया । चुकी ये कान्या भगवान शिव की मानष पुत्री थी । इसीलिए इसका नाम मनसा रखा गया । इस तरह मनसा देवी का जन्म हुआ । तब वासुकि उस कन्या को लेकर वहाँ से निकल पड़े । आधे रास्ते में ही वह गिर पड़े । क्योकि उनसे माँ मनसा देवी का विष
का परभाव बर्दाश नहीं हो सका ।
माँ Mansa Devi के शरीर का विष..
कहा जाता है की माँ Mansa Devi बहुत ही विषैली थी । इसका एक कारण यह भी था । की भगवान शिव ने जब असुर और देवताओं में अमृत के लिए युद्ध हो रहा था तब भगवान शिव ने वो विषैला विष पिया था जिसका नाम कालकूट था। जिसके कारण उनका नाम नीलकंठ भी है । इसी कारण माँ Mansa Devi भी बहुत ही विषैली थी। इस कारण सम्पूर्ण बह्रमांड में सबसे ज्यादा जहरीली कन्या थी । धरती पर पड़े राजा वासुकि ने भगवान शिव को पुकारा हे प्रभु में इस कन्या का विष का ताप सहन नहीं कर पा रहा हूँ । जब में सहन नहीं कर पा रहा हु तो ये छोटी सी नवजात कन्या इसको कैसे बर्दाश कर पायेगी । तब भगवान शिव ने उस कन्या को बाल अवस्था से सीधे युवा अवस्था में कर दिया । और शिव की पुत्री होने के कारण उसमे बहुत ही चमत्कारी शक्ति भी मौजूद थी । मनसा देवी को जब यह मालूम हुआ की वह बहुत शक्तिशाली है । तो उसे अपने आप पर अहंकार [घमंड ] होने लगा

माँ मनसा देवी ने अपनी शक्तियो का गलत इस्तेमाल करने की कोशिस की । उसने पाताल लोक में भी अपना हक़ जमाना चाहा ।माँ मनसा देवी चाहती थी ,की सब लोग उनकी पूजा करे । इसलिए उन्होंने बगावत छेड दी । की जिस तरह भागवन शिव के परिवार में गणेश और कार्तिक की पूजा की जाती है । वैसे ही मेरी भी पूजा की जानी चाहिए ।ठिक वैसे ही धरती वाशी भी मेरी भी पूजा करे । जब भगवान शिव को यह पता चला की मनसा अन्य देवियों की तरह अपने आप को पूजन्य के लिए मना रही है । और लोगो पर अत्याचार कर रही है । तब उन्होंने मनसा देवी कोअपने पास बुलाया , और कहा – ” की तुम धरती पर जाओ

शिव का भक्त चंद्रधर
कहा जाता है ,की धरती पर शिव का एक भक्त चंद्रधर भी है । यदि वह तुम्हरी पूजा कर लेगा । तो धरती वासी भी तुम्हरी पूजा करने लगेगे। भक्त चंद्रधर धरती पर शिव का महान भक्त था । माँ Mansa Devi ने अपने बलपूर्वक पूरी श्रद्धा से उसे अपनी पूजा करने को मजबूर कर दिया था । मगर भक्त चंद्रधर शिव का महान भक्त होने के कारण किसी और की पूजा नहीं करना चाहता था। फ़िर भक्त चंद्रधर ने उन्हे साफ साफ स्पष्ट रूप से मना कर दिया । फ़िर मनसा देवी ने क्रोध में आकर चंद्रधर के एक एक कर सातों पुत्रो को मार दिया । फ़िर चंद्रधर की पत्नी ने माँ मनसा देवी से पार्थना की



फ़िर माँ Mansa Devi ने चंद्रधर की पत्नी को एक वरदान दिया , की तुम्हे एक और पुत्र होगा । फ़िर चंद्रधर के घर एक और पुत्र हुआ । जिसका नाम लुक्मीचन्द्र रखा गया । लुक्मीचन्द्र का विवाह एक अखंड सौभाग्यवती कन्या भुला के साथ किया गया । भुला एक महान सती थ जब Mansa Devi के बलपूर्वक प्रयाश के कारण भी चंद्रधर ने उसकी पूजा नहीं की ,तो माँ मनसा देवी ने अपने ही वरदान से दिए हुए पुत्र का शादी की पहली ही रात में मृत्यु दंड दे दिया ,भुला एक महान सती थी । उसने अपनी शक्ति से तीनो लोको के भगवानो से प्रार्थना की उसके पति को जिन्दा कर दे और उसे न्याय दे । ओर कोई भी यह करने में सक्ष्म नहीं था । फ़िर देवी सती भुला ने शिव से प्रार्थना की वह उसके पति को जिन्दा कर दे , जब भगवान शिव को यह पता चला की , माँ मनसा के कारण उसके पति की मर्तु हुई है । तब भगवान शिव तांडव करने लगे

फ़िर माँ Mansa Devi प्रकट हुई । और भगवान शिव से माफ़ी मागी । तब भगवान शिव ने कहा – की तुम चंद्रधर के
प्राण वापस लोटा दो । मगर मनसा यह करने में सक्ष्म नहीं थी । माँ मनसा को अपनी गलती का आभास हुआ । और उसने सभी से माफ़ी मागी । फ़िर भगवान शिव ने चंद्रधर को जीवनदान दिया और उसके सातों पुत्रो को भी जीवित कर दिया । और च चंद्रधर को कहा – “की वो माँ मनसा देवी को फूल अर्पण करे।
जैसे ही चंद्रधर और उसकी पत्नी माँ मनसा देवी पर फूल अर्पण करने लगे तो माँ मनसा ने रोक दिया । और कहा ” की इस दुनिया में सभी देवी देवताओ को सीधे हाथ से फूल अर्पण किया जाता है, और पूजा की जाती है । मगर मेरी पूजा उलटे हाथ से की जाएगी । फ़िर भगवान शिव ने माँ मनसा को यह वरदान दिया ,की आज से दुनिया में लोग तुम्हे माँ मनसा देवी के नाम से पूजेंगे । जो भी भक्त तुम्हरे द्वार पर आएगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी , तुम धरती पर पूजी जाओगी ।




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धन्यवाद जी





जय माँ गंगे हर हर गंगे
हर हर महादेव..

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