गंगनाथ देवता की कहानी | gangnath devta ki kahani | story of gangnath devta | gangnath devta

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सदियों से भारत में कई ऐसे महान चक्रवर्ती राजा महाराजा हुए ...जिन्होंने अपने राज्य में बड़े से बड़े न्याय किये... जिसमें दोषी को सजा और पीड़ित को न्याय मिलता था..
ठीक उसी प्रकार इस सृष्टि में भगवान शनि को न्याय का देवता माना जाता है..
ऐसी मान्यता है.. कि शनिदेव को महादेव ने ही न्याय का देवता बनाया और शनिदेव ही कलियुग में मनुष्यों के पापों का हिसाब करते हैं...और उसके हिसाब से सजा भी देते हैं..

पर ..हमारी देवभूमि उत्तराखंड में.. गोलू देवता या बाला गोरिया को न्याय का सर्वोच्च देवता माना गया है और गोल्ज्यू..न्यायाधीश के रूप में उत्तराखंड में स्थापित हैं..
लेकिन आज हम आपको एक ऐसे न्याय के देवता की कथा सुनाते हैं.. जिन्होंने अपने साथ तो न्याय किया ही किया और आज भी वह दूसरों को सच्चा न्याय प्रदान करते हैं...

हर हर महादेव दोस्तों... आप सभी का स्वागत है हमारे इस यूट्यूब चैनल पर...

हमारी आज की कहानी देेवभूमि उत्तराखंड के दूसरे शक्तिशाली न्याय के देवता गंगनाथ देवता की है... जो खुद गुरु गोरखनाथ जी से शिक्षा और दीक्षा प्राप्त किए हुए सिद्ध जोगी हैं..

तो चलिए अब इस कथा को शुरू करते हैं...

कई प्राचीन मान्यताएं और लोक कथाओं के अनुसार...
गंगनाथ जी... काली नदी के पार...डोटीगढ़ नेपाल राज्य के राजा भवेचंद के पुत्र थे... उनकी राजधानी कांकुर थी, उनकी माता का नाम प्योंला रानी तथा गंगनाथ जी अपने मां बाप के इकलौते पुत्र थे,
दादाजी केसरचन तथा दादी का नाम इंदुमती, चाचा का नाम उदय चंद तथा बहन का नाम दूधकेलि था!
उनके पास डोटीगढ़ की रौथानगिरी थी, इनके महल का नाम कंचन महल था, इनके सोने के सिंहासन में मखमली गद्दी बिछी रहती थी और यह सोने के बर्तनों में ही भोजन किया करते थे!

घाटगढ़, बागलेख से धुलीसाल तक इनकी रकम या मुद्रा चलती थी,

डोटीगढ़ में छोलनी-बिजौरी और दाख-दाड़िम छील कर खाते थे, गंगनाथ जी के पास गाय-भैंसों और दूध-दही की कमी न थी..
एक बार ज्योतिषियों ने इनके बारे में भविष्यवाणी की थी कि इनके भाग्य में 12 वर्ष तक ही राज योग है, उसके बाद यह जोगी हो जाएंगे...
इन्हीं दिनों बागेश्वर में उत्तरायणी का आठ दिन का मेला लगा हुआ था, इस मेले में हूण-सौक लोग आये रहते थे,
घोड़ों, सोना चांदी, लोहे से निर्मित वस्तुओं, थुलमा, पश्मीना, पंखी, दरी आदि चीजों का वहां मेला लगा रहता था, और उसी समय गंगनाथ जी की उम्र बारह वर्ष चल रही था, वे अपने दरी-दीवान सौद-मसौद को साथ लेकर बारह वर्ष की उम्र में बागनाथ के मेले में गए!

अल्मोड़ा जिले के रंगोड़ पट्टी में दन्या नाम का एक गांव है,
इस गांव में जोशी लोग रहते थे, यहाँ किशनानंद (किशनू ) जोशी की भानुमति (भाना) नाम की रूपवती स्त्री थी, अल्मोड़ा मे किशनु की दिवानचारि थी,
दनिया के पास लधौड़ी गाड़ मकौली में किशनू जोशी का ..झपरू नाम का एक लोहार रहता था,
भाना के साथ रुकम रस्यारी, कुसुम घस्यारी, नाथ-बिन्यान, झपरू ल्वार तथा अन्य नौकर-चाकर रहते थे,


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