Sumit ji & Sathi / Har ek makaan mein tu hai/

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Har ek makaan mein tu hai( Qawali)
New year (1/1/2023) Samagam, Delhi
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तोहफ़ा नफ़ीस बक्शा ये है करम गुरु का,
भूले से भी न भूलें, एहसान हम गुरु का,

कव्वाली-

हर इक मकां में तू है, और ला-मकां भी तू है,
नज़रें जहाँ न जाये, साहेब वहाँ भी तू है,

जिसको पढ़ा सुना था वो रूबरू हुआ है,
बक्शीन्द सतगुरु ने, पर्दा उठा दिया है,
सब पर नज़र जो रखता वो पासबाँ भी तू है,

दुःख दर्द ग़म से हमको मुर्शद ने ही निकाला,
हालात कैसे भी थे, हर हाल में सम्भाला,
ग़मख़ार कुल जहां का और मेहरबाँ भी तू है,

जिस पे ए बंदा-परवर की तूने इक निगाह है,
दासों का दास भी वो, दुनिया का शहनशाह है,
मंज़िल तू, राहबर तू, ये कारवाँ भी तू है,

आपकी तलियाँ हिलीं पर्दा हटा है शुक्रिया,
ज़र्रे-ज़र्रे में दिखा, जलवानुमा है शुक्रिया,

तारती है पार जाने कितनी रूहें इक नज़र,
मुस्कुरा के रहनुमा जब देखता है शुक्रिया,


रूहों की पीर मुरशद इक तू ही जानता है,
एहसास इस ख़ुदा का ख़ुद तेरा मोजिज़ा है,
ख़ामोशियों में तू है, और बा-ज़बां भी तू है,

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