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Shubh Journey 1446

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तीज का त्योहार और सातु का महत्व

तीज का त्योहार, विशेष रूप से सातु तीज, राजस्थान के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे सावन के मास में विशेष रूप से हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्यतः महिलाओं का होता है, जिसमें वे अपने परिवार की सुख-समृद्धि और सुहाग (पति की लंबी आयु) की कामना करती हैं। यह त्योहार प्रेम, त्याग, और पारस्परिक विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इसे मनाने के पीछे राजा हिमाचल की पुत्री देवी पार्वती की कथा अधिकतर प्रचलित है।

सातु तीज कथा

किवदंती के अनुसार, पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। हेेमाांचल की पुत्री थी। उनकी लगन, प्रेम, और तपस्या की परीक्षा लेने के बाद भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकारा। मान्यता है कि पार्वती ने एक विशेष दिन व्रत रखा जिसे सातु तीज का व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिव ने पार्वती को वरदान दिया कि जो भी महिला इस व्रत को करेगी, उसे अच्छे पति का सौभाग्य और परिवार की सुख-शांति प्राप्त होगी।

व्रत और पूजा

1. सजावट और साफ-सफाई
- सबसे पहले पूजा स्थल की सफाई करें और फूलों और रंगोली से सजाएं।
- चंदन, धूप, फूल, और जलमाने का प्रबंध करें।

2. व्रत रखाना
- व्रत धारण करने वाली महिलाएं प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं।
- इस व्रत में जल ग्रहण करना भी वर्जित होता है; इसे निर्जला व्रत कहा जाता है।

3. सातु तैयार करना
- सातु चार प्रकार से बनता है – गेंहू का सातु, चने का सातु, मकाई का सातु और मूंगी का सातु।
- इसे विशेष रूप से तीज पर तैयार किया जाता है। महिलाएं अपनी सासू मां और अन्य वरिष्ठ महिला सदस्यों को वितरित करती हैं।

4. पूजन सामग्री
- एक तूँग की डाल, महावर, मेंहदी, चूडि़याँ, श्रृंगार सामग्री आदि शामिल होते हैं।
- पार्वती-मां की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। विष्णु भगवान का भी पूजन साथ में करें।

5. व्रत कथा सुनना
- सथ्नान के पश्चात, व्रत-कथा कहना अनिवार्य होता है। सभी महिलाएं एकत्र होकर देवी पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनती हैं।

6. आरती और भोग
- कथा के पश्चात आरती की जाती है, श्री गणेश आरती और माता पार्वती की आरती गाई जाती है।
- पूजन के बाद स्वादिष्ट सतोँ, प्रसाद और फल वितरण किया जाता है।

7. आशीर्वाद लेन
- व्रत लेने वाली महिलाएं अपनी सास और वरिष्ठ महिलासों से आशीर्वाद लेने जाती हैं।

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