Bhagavad Gita chapter 5 shloka 23 BY Nitaipriya sumukhi DD

Описание к видео Bhagavad Gita chapter 5 shloka 23 BY Nitaipriya sumukhi DD

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शक्न‍ोतीहैव य: सोढुं प्राक्शरीरविमोक्षणात् ।
कामक्रोधोद्भ‍वं वेगं स युक्त: स सुखी नर: ॥ २३ ॥
Translation
यदि कोई इस वर्तमान शरीर को त्यागने से पूर्व भौतिक इन्द्रियों की इच्छाओं को सहन कर लेता है तथा इच्छा और क्रोध के बल को नियंत्रित कर लेता है, तो वह इस संसार में सुखी रहता है।

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हरे कृष्णा 🙏

हमें भगवान कृष्ण को याद करके अपने दिन की शुभ शुरुआत करने का एक शानदार अवसर मिल रहा है।👇🏻

सत्र 👉🏻"चेतो दर्पण मरजनम"

हम 4:30 AM से 5:45 AM तक हरे कृष्णा महामंत्र का जाप करते हैं।

👉🏻 सुबह 6.00 बजे से 6:30 बजे तक गीता सत्र , जिसमें हम भगवद् गीता का एक श्लोक साथ में पढेंगें ।
कृपया समय से कक्षा में जुडें।


कृपया करके ज्यादा से ज्यादा संख्या में जपा 📿सेशन में भाग लेने का प्रयास करें 🙏🏻

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आपकी भागीदारी के लिए तत्पर हैं।

धन्यवाद
🙏🏻🙏🏻
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Cheto darapana Marjanam

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