श्री कृष्ण द्वारा राक्षस वध और नागराज कालिया से युद्ध | श्री कृष्ण महाएपिसोड

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समय के साथ बाल कृष्ण किशोर होने लगते है। एक दिन श्री कृष्ण प्रभात होने के बाद भी सो रहे थे, यह देख माता यशोदा श्री कृष्ण को उठाती है और कहती है कि उसके ग्वाल बाल मित्र अपने बछड़ों के साथ मधुवन जाने के लिये उसकी प्रतीक्षा कर रहे है। इस पर श्री कृष्ण बिना शौच व स्नान किये भगवान का प्रसाद खा कर जाने लगते है तो इस पर माता यशोदा टोकती है तो श्री कृष्ण कहते है कि शरीर गंदा है परन्तु मन तो पवित्र है और मन पवित्र है तो नहाने धोने की कोई आवश्यकता नहीं होती, वह अपने भगवान से पूछ ले क्योंकि भगवान को पवित्र शरीर वाले भक्तों से पवित्र मन वाले भक्त अधिक प्रिय लगते है।
श्री कृष्ण अपने ग्वाल बाल मित्रों के साथ मुरली बजाते हुये गाय-बछड़ों को चराने के लिये मधुवन के लिये चल पड़ते है। मार्ग में कंस द्वारा भेजा गया बकासुर नामक दैत्य (पूतना का भाई) बगुले के रूप धर कर आ जाता है। उसे देख श्री कृष्ण अपने गाय-बछड़ों की बगुले से रक्षा के लिये आगे बढ़ते है, परन्तु ग्वाल बाल मित्रों द्वारा उन्हें रोके जाने पर भी बलराम श्री कृष्ण को आगे जाने देते है। बकासुर श्री कृष्ण को अपनी चोंच में दबा कर निगल लेता है, लेकिन श्री कृष्ण द्वारा अपने शरीर का ताप बढ़ाने के कारण उसे श्री कृष्ण को वापस उगलना पड़ता है। श्री कृष्ण और बकासुर में युद्ध होता है और अंततः श्री कृष्ण बकासुर की चोंच को तोड़ उसका वध कर तालाब में फेंक देते है। यह देख ग्वाल मित्र मण्डली हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की का जयकारा लगाती है।
बकासुर जैसे दैत्य के श्री कृष्ण के हाथों मारे जाने की सूचना से कंस विचलित हो जाता है। उसके एक से एक मायावी दैत्यों का कृष्ण द्वारा कालग्रास बनने से वह समझ जाता है कि यह बालक कुछ और है और साथ ही उसे देवी योगमाया की भविष्यवाणी भी याद आती है। कंस पूतना और बकासुर के बड़े भाई मायावी अकासुर (धरती का सबसे बड़े अजगर (सर्प)) को बुलाता है। बहन और भाई की श्री कृष्ण की हाथों वध किये क्रोधित अकासुर बदला लेने के लिये गोकुल के जंगल में अपना बड़ा सा मुख खोलकर गुफा का रूप बना लेता है। जिज्ञासा वश श्री कृष्ण समेत सभी ग्वाल बाल उसके गुफारूपी मुख में प्रवेश कर जाते है। अकासुर उन सबके प्रवेश करते अपना मुँह बंद कर लेता है, इस कारण सभी ग्वाल बाल बेसुध हो जाते है। यह देख श्री कृष्ण अपने शरीर को बढ़ाकर अकासुर का मुँह को फाड़कर वध कर देते है। अकासुर के वध होते ही उसकी आत्मा प्रकट हो श्री कृष्ण की वंदना करती है और बताती है कि युगों पहले वह अदैत्य शंखासुर का पुत्र था। जिसे अपने कामदेव के समान अपने शरीर की सुन्दरता का बड़ा ही अहंकार था। जिसको एक दिन महर्षि अष्टावक्र ने उसके द्वारा उनके टेढ़े-मेढ़े शरीर किये पर परिहास के कारण अजगर बन जाने का श्राप दे दिया था। लेकिन महर्षि से क्षमा माँगने पर उन्होंने द्वापर के अंत में भगवान श्री कृष्ण के धरती पर पधारने पर उनके चरण स्पर्श से उसको इस सर्प के शरीर से मुक्ति की बात बताई। अकासुर की आत्म-ज्योति श्री कृष्ण से उनके चरणों की रज में विलीन होने प्रार्थना करता है। इस पर श्री कृष्ण कहते है कि समस्त प्राणियों की शरीर अहंकार से निर्मित एक बुलबुले की भाँति होता है और जब अहंकार का नाश होने से बुलबुला फूट जाता है तब उसको मुक्ति मिल जाती है। अकासुर की आत्मा श्री कृष्ण की चरणों में विलीन हो जाती है।

श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।

Produced - Ramanand Sagar / Subhash Sagar / Pren Sagar
निर्माता - रामानन्द सागर / सुभाष सागर / प्रेम सागर
Directed - Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar
निर्देशक - रामानन्द सागर / आनंद सागर / मोती सागर
Chief Asst. Director - Yogee Yogindar
मुख्य सहायक निर्देशक - योगी योगिंदर
Asst. Directors - Rajendra Shukla / Sridhar Jetty / Jyoti Sagar
सहायक निर्देशक - राजेंद्र शुक्ला / सरिधर जेटी / ज्योति सागर
Screenplay & Dialogues - Ramanand Sagar
पटकथा और संवाद - संगीत - रामानन्द सागर
Camera - Avinash Satoskar
कैमरा - अविनाश सतोसकर
Music - Ravindra Jain
संगीत - रविंद्र जैन
Lyrics - Ravindra Jain
गीत - रविंद्र जैन
Playback Singers - Suresh Wadkar / Hemlata / Ravindra Jain / Arvinder Singh / Sushil
पार्श्व गायक - सुरेश वाडकर / हेमलता / रविंद्र जैन / अरविन्दर सिंह / सुशील
Editor - Girish Daada / Moreshwar / R. Mishra / Sahdev

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