🌸✨ जय माता दी ✨🌸
इस वीडियो में प्रस्तुत है माँ दुर्गा की आरती जो शक्ति, भक्ति और आस्था का प्रतीक है।
माँ दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है और उनकी आरती गाने से जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
🙏 माँ दुर्गा की आरती करने का महत्व 🙏
आरती करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, मन के सारे भय दूर हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, दशहरा या किसी भी दिन माँ की आरती करना शुभ माना जाता है।
✨ इस वीडियो में आपको माँ दुर्गा की मधुर और भक्ति से भरी आरती मिलेगी जिसे सुनकर आपका मन भक्तिभाव से भर जाएगा।
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🌹 माता रानी सबको आशीर्वाद दें 🌹
जय माता दी 🙏❤️
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🌸✨ जय माता दी ✨🌸
इस वीडियो में प्रस्तुत है माँ दुर्गा की आरती, जो भक्ति, शक्ति और आस्था का प्रतीक है। नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी और दशहरा के शुभ अवसर पर इस आरती का श्रवण करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
🙏 माँ दुर्गा सब पर कृपा करें।
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जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
अंबे जी की आरती (Mata Ki Aarti/ Durga Aarti/ Ambe Tu Hai Jagdambe Kali):
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।
तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥
सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती।
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥
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