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Скачать или смотреть Dharmik Kahani | Vishnu ji ka Mohini Roop | भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था मोहिनी रूप |

  • Asha Ke Moti
  • 2023-09-15
  • 252
Dharmik Kahani | Vishnu ji ka Mohini Roop | भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था मोहिनी रूप |
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Описание к видео Dharmik Kahani | Vishnu ji ka Mohini Roop | भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था मोहिनी रूप |

विष्णु महापुराण के अनुसार, एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिलकर सागर को मथने का निर्णय लिया था | मंथन हेतु स्वयं श्री नारायण के कूर्मावतार की पीठ पर मदिरांचल पर्वत विराजमान था, वहीं शेष नाग को मथने के लिए रस्सी के रूप में प्रयोग किया जा रहा था | एक तरफ जहां नाग की पूंछ को खींचकर देवता अपना योगदान दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर नाग के शीष की ओर राक्षस मंथन में अपना योगदान दे रहे थे |
समुद्र मंथन के दौरान बहुत से रत्न सागर के गर्भ से प्रकट हो रहे थे | मंथन में एक एक कर कालकूट विश, ऐरावत, कामधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ एवं पद्मराग मणि, कल्पवृक्ष, रम्भा नामक अप्सरा, महालक्ष्मी, वारुणी मदिरा, चन्द्रमा, शारंग धनुष, पांचजन्य शंख आदि प्रकट हुए | अंत में जिस हेतु राक्षस और देवताओं ने यह मंथन किया था, ऐसा दिव्य अमृत हाथो में लिए हुए विष्णु जी के अवतार धनवंतरि प्रकट हुए |

जैसे ही समुद्र मंथन में अमृत प्रकट हुआ, तुरंत देवताओं और दैत्यों में उसे प्राप्त करने की होड़ मचने लगी | एक तरफ जहां देवता अमृत ग्रहण कर अमर होना चाहते थें, वहीं दैत्यों के मन में अमर होने की इच्छा थी | इस कारण से देवताओं और दैत्यों के बीच युद्ध की स्थितियां उत्पन्न होने लगी | कभी देवता कलश लेकर भागते तो कभी दैत्य |
यह सब होता देख विष्णु जी को चिंता हुई, वे जानते थें कि यदि दैत्यों को अमृत प्राप्त हुआ, तो वे अमर होकर धरती पर हाहाकार मचाएंगे | इसलिए भगवान विष्णु ने युक्ति निकाली और मोहिनी रूप धरकर सागर में आए |
मोहिनी का सुंदर रूप देखकर सभी दैत्य जैसे उन पर मोहित हो गए | बड़े बड़े नैन, कोमल अंग, रत्न जड़ित स्वर्ण मंडित आभूषण, विलक्षण परिधान धारण किए मोहिनी स्वरूप ने सभी का मन मोह लिया | दैत्यों को मोहित करने के बाद भगवान विष्णु ने दैत्यों के आग्रह करते हुए उन्हे अपने हाथ से अमृत पिलाने के लिए कहा | मोहिनी अवतार श्री हरि ने यह आग्रह सहर्ष स्वीकार कर लिया और पहले देवताओं को अमृत पान करने लगे |

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