जैसलमेर बस अग्निकांड: राजस्थान में 14 अक्टूबर 2025 को हुआ भीषण हादसा
14 अक्टूबर 2025 को राजस्थान के जैसलमेर जिले में एक निजी बस में भयानक आग लगने की घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया। यह हादसा जैसलमेर-जोधपुर हाईवे पर हुआ, जब दोपहर करीब 3 बजे जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक निजी ट्रेवल्स की बस अचानक धधक उठी। बस में कुल 57 यात्री सवार थे, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे भी शामिल थे। बस के पिछले हिस्से से अचानक धुआं निकलने लगा, जिसे देखकर चालक ने जैसे-तैसे बस को सड़क किनारे रोकने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैल गई कि बस देखते ही देखते आग का गोला बन गई। स्थानीय लोग, राहगीर और सेना के जवान तुरंत मौके पर पहुंचे, लेकिन आग की भीषणता के कारण अधिकांश यात्रियों की जान नहीं बच सकी। आग लगने के दौरान कई लोग फर्श पर गिर गए और भागने की कोशिश में घायल हो गए। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने अग्निशमन की कोशिशें की, लेकिन बस के अंदर मौजूद यात्री बाहर नहीं निकल पाए। कुछ यात्रियों ने अपने शरीर पर कपड़े लपेटकर और खिड़कियों से बाहर कूदकर जान बचाई। इस हादसे में अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। मृतकों की पहचान सामान्य तरीके से नहीं हो पा रही थी क्योंकि शव इतनी बुरी तरह जल गए थे, जिसके चलते डीएनए टेस्ट के माध्यम से उनकी पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। अब तक केवल 2 शवों की पहचान हो पाई है, जिन्हें परिजनों को सौंपा गया है, जबकि बाकी शवों की पहचान डीएनए जांच के जरिए की जाएगी। घायलों में से 6 की हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है और वे वेंटिलेटर पर हैं।
प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि बस का ढांचा चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग द्वारा मंजूरी प्राप्त था, लेकिन उसमें कई सुरक्षा खामियां थीं। बस में आग लगने के तुरंत बाद एक धमाका भी हुआ, जिसने आग की लपटों को और भी तेज कर दिया। इस मामले में लापरवाही पाए जाने पर चित्तौड़गढ़ परिवहन विभाग के कार्यवाहक जिला परिवहन अधिकारी सुरेंद्र सिंह और सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुन्नी लाल को निलंबित कर दिया गया। हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने राहत कार्य शुरू कर दिया। घटनास्थल पर जिला प्रशासन, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया और मृतकों के शवों को सुरक्षित रूप से निकाला। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 2-2 लाख रुपये और सामान्य रूप से घायल यात्रियों को 1-1 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त किया और पीएमएनआरएफ से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।
इस दुर्घटना ने बसों की सुरक्षा मानकों और परिवहन नियमों की समीक्षा की जरूरत को स्पष्ट रूप से उजागर किया है। अधिकारियों का मानना है कि यदि बस में सुरक्षा उपकरण और आग बुझाने के साधन समय पर उपलब्ध होते, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। इस हादसे के बाद राजस्थान राज्य सरकार ने निजी बसों और ट्रैवल्स कंपनियों की सुरक्षा जांच को कड़ा करने का निर्णय लिया है। इसमें प्रत्येक बस के इंजन, ब्रेक सिस्टम, अग्निशमन यंत्र और इमरजेंसी निकासी के साधनों की नियमित जांच अनिवार्य की जाएगी।
वहीं, यात्रियों और आम जनता में इस हादसे को लेकर भारी आक्रोश है। यात्री संघों और नागरिक संगठनों ने परिवहन विभाग से मांग की है कि बस संचालन में सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाए। इसके साथ ही, दुर्घटना से प्रभावित परिवारों को सहायता और मानसिक समर्थन उपलब्ध कराने के लिए हेल्पलाइन और राहत केंद्र खोले गए हैं। अस्पतालों में घायलों का इलाज चल रहा है और चिकित्सा टीमों को अतिरिक्त उपकरण और दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। इसके अलावा, पुलिस ने हादसे में शामिल बस चालक और संबंधित कर्मचारियों से पूछताछ शुरू कर दी है ताकि आग लगने के सही कारणों का पता लगाया जा सके।
विशेषज्ञों का कहना है कि निजी बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी और नियमित निरीक्षण की कमी इस तरह के हादसों के मुख्य कारण हैं। इसके अलावा, आग लगने की स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए इमरजेंसी प्लान और ट्रेनिंग की भी कमी देखी गई। राजस्थान सरकार ने इस हादसे के बाद सभी बस ऑपरेटरों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी बसों में अग्निशमन यंत्र, आपातकालीन निकासी के साधन और सुरक्षा संकेतक व्यवस्थित रूप से रखें। साथ ही, प्रत्येक बस चालक और सहायक स्टाफ को अग्नि सुरक्षा और आपातकालीन निकासी प्रशिक्षण देना अनिवार्य किया गया है।
जैसलमेर बस अग्निकांड ने पूरे देश को सिहराकर रख दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स, सोशल मीडिया और राष्ट्रीय टीवी चैनलों ने हादसे की घटनास्थल से लाइव कवरेज दी, जिससे लोगों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ी है। कई राजनेताओं और सामाजिक संगठनों ने इस घटना को लेकर सरकार से कार्रवाई की मांग की है। इस हादसे ने न केवल निजी बसों की सुरक्षा मानकों की समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया कि यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखने के लिए निरंतर निगरानी, प्रशिक्षण और कड़े नियम आवश्यक हैं।
इस पूरे घटनाक्रम में राजस्थान सरकार ने मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई और राहत के रूप में तत्काल आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई। हादसे से प्रभावित जिलों में विशेष समितियां गठित की गई हैं जो घटनाओं का फॉलो-अप करेंगी और भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय सुझाएंगी। साथ ही, नागरिक सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं के तंत्र को मजबूत करने की दिशा में भी राज्य सरकार ने पहल की है। इस हादसे की कहानी न केवल एक ट्रैजेडी के रूप में याद रखी जाएगी, बल्कि यह भविष्य में बेहतर सुरक्षा मानकों, प्रशिक्षण और आपातकालीन तैयारी के महत्व की चेतावनी भी बनेगी।
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