उत्तर रामायण - EP 23 - अगस्त्य मुनि ने राम को दिव्य भेंट दी

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Uttar Ramayan - Episode 23 - Agastya Muni gave a divine gift to Rama| Education to Luv Kush by Sita Ji

अयोध्या का एक गुप्तचर राजा राम को सूचना देता है कि इन दिनों पूरे देश से तमाम ऋषि मुनि गोदावरी नदी के तट पर स्थित पंचवटी की ओर जा रहे हैं। पंचवटी के निकट महर्षि अगस्त्य विगत बारह वर्षो से जल में निवास कर रहे हैं और अब वे अपनी साधना पूरी कर जल से बाहर निकलने वाले हैं। राम भी महर्षि अगस्त्य के दर्शन के लिये जाने की इच्छा व्यक्त करते हैं। कार्यकारी राजगुरु और मंत्रिपरिषद राम की इच्छा का अनुमोदन करती है। महर्षि अगस्त्य के जल शय्या से बाहर आने पर स्वर्ग से देवता और धरती पर अनेक ऋषि मुनि उनका अभिनन्दन करते हैं। अगस्त्य राम व लक्ष्मण को भी अपने आश्रम में आया देखकर प्रसन्न होते हैं। उनका राजोचित सम्मान किया जाता है। अगस्त्य जानते हैं कि राम के रूप में उनके आश्रम में स्वयं भगवान नारायण पधारे हैं। वह राम को भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित दिव्य आभूषण भेंट करते हैं। अगस्त्य ऋषि उनसे कहते हैं कि यह आभूषण सदैव उनके वंशजों की शोभा बढ़ाता रहेगा। चूँकि सीता महल का त्याग कर चुकी हैं तो राम अपनी वंश वृद्धि को लेकर सशंकित होते हैं। तब अगस्त्य मुनि बताते हैं कि राम और उनके तीनों भाईयों को दो दो सन्तानें होंगी। वह यह भी बताते हैं कि सूर्यवंश के राजा हर युग में होते रहे हैं और होते रहेंगे। सतयुग से त्रेता तक यह परम्परा कायम है और आगे भी रहेगी। महर्षि अगस्त्य त्रिकालदर्शी हैं। वह जानते हैं कि राम के दो पुत्र लव और कुश इस समय वाल्मीकि आश्रम में पल रहे हैं और बड़े हो रहे हैं। सीता दैनिक कार्यों को स्वयं अपने हाथों से करती हैं और साथ ही लव कुश में भ्रातृ प्रेम विकसित करते हुए उनके अन्दर अच्छे संस्कार भी भरती जाती हैं।

उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं। माँ सीता वहाँ लव कुश को जन्म देती हैं। लव कुश उसी आश्रम में बड़े होते हैं और गुरु वाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा लेते हैं। कैसे लव कुश श्री राम और माँ सीता को मिलाते हैं देखे सम्पूर्ण उत्तर रामायण के सभी एपिसोड सिर्फ़ तिलक YouTube चैनल पर।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।

निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार

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