Anxiety Disorder / एंग्जाइटी डिसऑर्डर : जानिए इसके कारण, लक्षण, प्रकार और दूर करने के उपाय ( Hindi )

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एंग्जाइटी डिसऑर्डर : जानिए इसके कारण, लक्षण, प्रकार और दूर करने के उपाय

क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि एग्जाम से ठीक पहले आपके हाथ-पैर कांपने लगे हों, या फिर जॉब इंटरव्यू से पहले हथेलियों में पसीना आने लगा हो? असल में ये किसी बीमारी का संकेत नहीं हैं बल्कि किसी बड़े इवेंट से पहले ये खुद को तैयार करने का शरीर का अपना तरीका है।

दिमाग से आने वाले ये संकेत इवेंट शुरू होते ही जितनी तेजी से उठे थे उतनी ही तेजी से शांत भी हो जाते हैं। धीरे-धीरे सांसों की गति और हृदय गति सामान्य होने लगती है। ये चिंताएं असल में बुरी न होकर अच्छी हैं, जो हमें किसी भी इवेंट के लिए तैयार होने में मदद करती हैं।

लेकिन अगर ये चिंता बिना किसी स्पष्ट कारण के होने लगे, तब जरूर ये चिंता की बात हो सकती है। कई लोगों में ये समस्या चरम पर पहुंचने के बाद उनके रोजमर्रा के कामों और उनकी जिंदगी को प्रभावित करने लगती है। ऐसी हालत में इसे चिंता रोग या एंग्जाइटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders) कहा जा सकता है।

इस आर्टिकल में मैं आपको चिंता और डिसऑर्डर में अंतर, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms Of Anxiety Disorder), एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के प्रकार, एंग्जाइटी डिसऑर्डर के इलाज के बारे में जानकारी दूंगा।

भारत के महानगरों में 15.20 % लोग एंग्जाइटी और 15.17 % लोग डिप्रेशन के शिकार हैं।
महानगरों के करीब 50% लोग अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते।
रिसर्च के मुताबिक, अनिद्रा करीब 86 % रोगों का कारण है, जिनमें डिप्रेशन व एंग्जाइटी सबसे प्रमुख हैं।
विकसित देशों के करीब 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं।
महिलाओं में इसकी चपेट में आने की आशंका पुरुषों के मुकाबले 60% अधिक होती है।
एक रिसर्च के अनुसार 8% किशोर एंग्जाइटी के शिकार हैं, जिनमें से बहुत कम को ही मानसिक स्वास्थ्य देखभाल मिलती है।

चिंता और डिसऑर्डर में क्या अंतर है?
मशहूर अमेरिकी लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर लियो बसकैगिला का मशहूर क्वोट है, ''चिंता आपके आने वाले कल को ही दुखों से खोखला नहीं करती है बल्कि ये अपनी ताकत से आपके आज को खत्म कर करती है।'' (“Worry does not empty tomorrow of its sorrow, it empties today of its strength.” : Leo Buscaglia)

लियो बसकैगिला का ये मशहूर क्वोट आपको ये समझाने के लिए काफी है कि चिंता वाकई चिता के समान होती है, जो जीते जी आदमी को जलाती रहती है।

नियमित चिंता (Normal Anxiety)
बिलों के भुगतान
जॉब इंटरव्यू और एग्जाम से पहले होने वाली बेचैनी
स्टेज पर जाने से पहले पेट में हलचल होना
किसी खास चीज से डरना, जैसे सड़क पर आवारा कुत्ते से काटे जाने का डर
अपने किसी करीबी के निधन से होने वाली चिंता
किसी बड़े काम से पहले पसीना आना
चिंता रोग (Anxiety Disorder)
बेवजह की चिंता करना
लोगों के सामने जाने से डरना
लोगों से बातचीत करने का डर
लिफ्ट में जाने का डर कि वापस नहीं निकल पाएंगे
सनक की हद तक सफाई करना
बार-बार चीजों को सेट करते रहना
ये मान बैठना कि आप मरने वाले हैं या कोई आपको मार देगा
पुरानी बातों को बहुत ज्यादा याद करना

एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण (Symptoms Of Anxiety)

चिंता तो हर किसी को होती है, इसलिए वाकई ये कहना मुश्किल है कि उसे बीमारी के तौर पर कब पहचाना जाए। लेकिन अगर कोई खास चिंता बहुत लंबे वक्त तक बनी रहे और उससे आपके काम या जिंदगी पर असर पड़ने लगे तो ये वाकई खतरनाक है। आपको तुरंत ही किसी मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।

वैसे तो एंग्जाइटी डिसऑर्डर कई किस्म के होते हैं। लेकिन उनके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं। जैसे,

हृदयगति में बढ़ोत्तरी, सांस फूलना
मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाना
छाती में खिंचाव महसूस होना
फालतू चिंता में बढ़ोतरी और बेचैनी महसूस होना
किसी गैरजरूरी चीज के प्रति बहुत ज्यादा लगाव होना
किसी चीज के लिए अनावश्यक आग्रह करना
एंग्जाइटी डिसऑर्डर का कारण क्या है?
परिवार का इतिहास :

जिन व्यक्तियों के परिवार में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की हिस्ट्री होती है, उन्हें कई बार एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या हो सकती है। मिसाल के लिए ओसीडी नाम का विकार, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जा सकता है।

तनावपूर्ण घटनाएं :

कार्यस्थल पर तनाव, अपने किसी प्रिय व्यक्ति का निधन, प्रेमिका से ब्रेकअप आदि से भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर के लक्षण उभर सकते हैं।

स्वास्थ्य से जुड़े मामले :

थायरॉयड की समस्या, दमा, डायबिटीज या हृदय रोग से एंग्जाइटी डिसऑर्डर की समस्या हो सकती। डिप्रेशन से पीड़ित लोग भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, जो व्यक्ति लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहा हो, उसकी कार्यक्षमता में गिरावट आने लगती है। इससे वर्कप्लेस और कामकाज से जुड़े तनाव बढ़ते हैं और फिर एंग्जाइटी डिसऑर्डर का जन्म होता है।

नशे का इस्तेमाल :

गम को भुलाने के लिए बहुत से लोग शराब का दूसरे नशों का सहारा लेने लगते हैं। लेकिन यकीन मानिए शराब कभी भी एंग्जाइटी डिसऑर्डर का इलाज नहीं हो सकती है। बल्कि ये समस्या को और बढ़ा देती है। नशे का असर खत्म होते ही उनमें वापस घबराहट बढ़ने लगती है।

पर्सनैलिटी से जुड़े डिसऑर्डर :

आपने गौर किया होगा कि कुछ लोगों को बहुत ज्यादा परफेक्शन के साथ काम करने की आदत होती है। लेकिन जब ये परफेक्शन की जिद सनक बन जाए तो ये डिसऑर्डर है। कई बार यही जिद ऐसे लोगों में बिना वजह की घबराहट और चिंता को जन्म देती है।

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