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Скачать или смотреть धान में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण | Insect and Pest Control in Paddy | Krishi Network

  • Krishi Network
  • 2021-08-06
  • 19541
धान में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण | Insect and Pest Control in Paddy | Krishi Network
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Описание к видео धान में लगने वाले प्रमुख रोग एवं नियंत्रण | Insect and Pest Control in Paddy | Krishi Network

धान हमारे देश की मुख्य खाद्य फसलों में से एक है। इसकी खेती पहाड़ी और बंजर क्षेत्रों के अलावा पूरे भारत में सफलतापूर्वक की जाती है। कई प्रकार के कीटों से धान की फसल को हानि पहुंचने की संभावना होती है। कीटों से फसल को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न कीटों की जानकारी और उनसे बचाव के तरीकों की जानकारी होना आवश्यक है।

धान की फसल में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट

कुरमुला कीट : सिंचित धान में यह कीट नहीं होता है। लेकिन असिंचित धान की फसल को इस कीट के बहुत नुकसान होता है। इस प्रकार के कीट पौधों की जड़ों को खाते हैं। जिससे पौधे पीले हो कर सूखने लगते हैं। इस कीट के प्रकोप से धान की फसल को 20 से 80 प्रतिशत तक नुकसान होता है। इससे बचने के लिए खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर खाद का प्रयोग करें। खड़ी धान की फसल में 80 मिलीलीटर क्‍लोरपाइरिफॉस 20 इ.सी. को एक किलोग्राम राख या बालू में मिला कर खेत की मिट्टी में छिड़काव करें।

तना छेदक कीट : शुरुआत में यह कीट पत्तियों में छेड़ कर के अंदर से खाने लगते हैं। धीरे - धीरे यह पौधों के तनों को खा कर उन्हें अंदर से खोखला बना देते हैं। इसके अधिक प्रकोप से पौधों में बालियां नहीं निकलती हैं। प्रति एकड़ जमीन में 8 किलोग्राम कार्बोफूरान 3 जी या करटॉप हयड्रोक्लोराइड 4 जी का या क्लोरोपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर या एसिफेट 75 एसपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी मे मिला कर छिड़काव करें।

हिप्सा : यह कीट पौधों की पत्तियों को खाते हैं। जिससे पत्तियों पर सफ़ेद रंग की धारियां बन जाती हैं। इससे पत्तियां सूखने लगती हैं। इस कीट को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पत्तियों और तनों को नष्ट कर दें। इस कीट से प्रभावित क्षेत्रों में नत्रजन (नाइट्रोजन) उर्वरक का अधिक प्रयोग न करें। क्लोरपायरिफॉस या मैलाथियॉन नामक दवा के प्रयोग से भी इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

रस चूसने वाले कीट : धान की फसल में मधुआ, थ्रिप्स आदि रस चूसने वाले कीटों के होने की संभावना अधिक होती है। इस प्रकार के कीट पौधों की पत्तियों से रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देते हैं। इससे बचने के लिए प्रति 10 लीटर पानी में 10 मिलीलीटर मोनोक्रोटोफॉस मिला कर छिड़काव करें। प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड या मिथाइल डिमेटोन मिला कर छिड़काव करने से भी इस कीट से छुटकारा मिल सकता है।

गंधी बग : प्रमुख धान के कीटों में से यह कीट खेत में दुर्गंध पैदा करता है, इसलिए इसे गंधीबग कहा जाता है। आवश्यकतानुसार मैलाथियान 50 ई सी, 1 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या कार्बारिल 50 डब्ल्यू पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी या एसीफेट 75 एस पी, 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करें या कोबैरिल या मैलाथियान धूल 25 से 12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से भुरकाव करें।

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