पचरा प्रेम गीत टप्पा (TAPPA PREM GEET) NARENDRA SINGH SIDHI

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#टप्पा_प्रेम_गीत -
काशी जी हम जवा बोबाई सजन के लाने
जमुना जी मा जीर..
जमुना जी मा जीर सुना हो...
तोरे करन मै वन-वन भटकूँ
धरय न मनबा धीर.......

मूड़े गठरिया हाथे म झोरा ।
कहा जाती रहनिया चुनू क ब्यारा ।।

कच्चा करउदा करू लागे ।
मोर लइले गठरिया गरू लागे ।।

बरखा न पानी झुखाय गई धान ।
चला उड़चली चिरई कोइलिया खदान ।।

गोहू कै रोटी ऊपर चटनी ।
छैला तोही घुमइहौ शहर कटनी ।।

गोहू कै रोटी गोजहरा कै ।
मन लइगे बिटीबा उचहरा कै ।।

डोभरी के लासी गली मा चुचुआय |
तोर घर के बिआही गली मा लुलुआय ||

कत्था के खाये सुपारी बिसरै ।
तइसय उढरी के आये बियाही बिसरै ।।

यारी लगउबे दुइन दिन का |
बदनामी ता होई सबय दिन का ||

आमा के लंउची झूले मा टूटय |
मोर तोसे पिरितिया कबो न छूटय ||

पाटी ता पारे बनाए चेहरा |
घर रोबय बिआही मनुष मेहरा ||

आमा के पत्ता बनाउ चोंगी |
तोरे खातिर रजनिया भएऊँ जोगी ||
आमा के पेड़े पटक तरुआ |
मोरे माथे तय रहबे जनम रंडुआ ||

आमा लगउबय अमिलपुर मा |
तोसे सादी करइहौं जबलपुर मा ||

आसों के धान मा चाउर नहीं आय |
हम तै कहां-कहां बगबै ठउर नही आय ||

फोर फोर पथरा लगाऊ चट्टा ।
चोरी चोरी पठाय दे बीड़ी क कट्टा ।।

नदिया कछारे परी है सूती |
आजु डाला भरी न तोरे बूते ||

तामे के पइसा बूढ़ीबन का |
अंगरेजी रूपइया बिटीबन का ||

अमली के पेड़े फटक तरुआ |
तोही अइसै बदा है जनम रंडुआ ||

पान खाय ले मुन्नी बैर नहीं आय |
तनी बोलि बताय ले बैर नही आय ||

खाते सेमइया बतउते भाजी ।
तोरे जियरा म छैला दगाबाजी ।।

तोर मोर यारी दऊ जाने ।
जइसे टमसा म सतना हिलोर मारे ।।

गयव तै बजरिया लयायव हरदी ।
नये घइला क पानी करय सरदी ।।

नबा नबा बंधा नबा है ठेकेदार ।
पइसा मारे हरामी न दीन्हिस हमार ।।

लम्मी सड़किया म गोला बाजार ।
मोही लइ दे मुदरिया छिगुरिया के तार ।।

बरखा है पानी समिट गे हि धूर ।
मन माया फसाय के चली जइहे दूर ।।

सइकल से आना सइकल से जाना ।
दगाबाजी न कीन्हे गली म थाना ।।

सम्पति भोग्यव बिपत भोगिहो ।
तोरे जियरा के लाने जहल भोगिहो ||

पानी तो बरखे पहरियन मा ।
बूदा लइगे मछरिया दहरियन मा ।।

पानी तो बरखे चुअय ओरिया ।
परदेशी न भीजय ओढाऊ फरिया

खाय भाजी भई राजी ।
दुनिया म बगर गे दगा बाजी ।।

हम नहि गाई काहू क जोर के ।
कउनो रनिया न गावै हमू क जोर के ।।

छूला के फूले ललामी देखाय ।
मउहरिया म गोरी खड़े बिदुराय ।।

गाड़ी तो भागे पटरियन मा ।
मोही छैला बोलावै नजरियन मा ।।

गाडी तो अबय गोलाई दइके ।
मोही छैला बोलावै मिठाई लइके ।।

अम्मा के खाले बिछी खटिया।
सुख सोबय कुमारी जुरे रशिया ।।

गयव तै बजरिया बेसाह लायव छीट ।
बदलामी जो गइहे उकेल ल्याहो पीठ ।।

कत्था के खाये सुपारी बिसरै ।
तइसय उढरी के आये बियाही बिसरै ।।

खाय खाय भाजी भई राजी ।
दुनिया म बगर गे दगाबाजी ।।

पथरा के फोरे सकल नहि आय ।
आठ बजगे पै छैला उचत नहि आय ।।

लट्ठा कै धोती किनारी नहि होय ।
बिना बोले बताने चिन्हारी नहि होय ।।

खोदी खदानिया म चारा नहि आय ।
बिना लबरी बताने गुजारा नहि आय ।।

फूल ता फूलय अकासन मा |
तोंहका अइसय लोभउबय बतासन मा ||

गोरी हम नही तरसन संगतिया का |
रानी एक हम तरसी बतीसियन का ||

कंधबा के बोरी भूईं मा धय दे |
हमका लइ ले कंधइया हलुक अउबय ||

मक्का के रोटी उपर चटनी |
गोरी तोंहका घुमउबय शहर कटनी ||

गयेन बजारे बेसाहन मर्चा |
मोर चर्चा जो चलबे उकेलब चरसा ||

लट्ठा कै धोती किनारी नहि होय ।
बिना बोले बताने चिन्हारी नहि होय ।।

नरेंद्र सिंह, सीधी

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