चीड़ के पेड़ के नुकसान, disadvantages of planting pine tree,

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उत्तराखंड में चीड़ के तेजी से फैलाव के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है। जंगलों में आग का कारण चीड़ तो बन ही रहा, भूमि के अम्लीय होने के साथ ही जमीन की जल शोषित करने की क्षमता खत्म हो रही है। भू-क्षरण बढ़ रहा है। ऐसे में चीड़ की बजाए बांज समेत मिश्रित वनों को बढ़ावा देना होगा।
धरती को अम्लीय बना रहा है चीड़
-इसकी पत्तियां (पिरुल) और फल (छ््यूंती) वनाग्नि फैलाने में सहायक
-चीड़ के जंगलों के नीचे नहीं पनप पाती दूसरी वनस्पतियां
-जैव विविधता को पहुंचा रहा भारी नुकसान
-चीड़ के जंगल वाले क्षेत्रों में सूख रहे हैं जलस्रोत
-पिरुल के कारण बरसात का पानी भूमि में रिसने की बजाय तेज गति से बह जाता है।

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