त्रेतायुग में इस घनें जंगल में की थी लक्ष्मण भगवान जी ने तपस्या | Lakshman Sidh Mandir Dehradun

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मान्यता के अनुसरा यहाँ त्रेतायुग में भगवान रामजी के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने मेघनाथ का वध कर उन्हेंब्रह्मत्या दोष लगा था जिससे ब्रह्मत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिये उन्होंने यहाँ प्राचीन अखंड धुने के पास की थी तपस्या तब से भी इस मंदिर लक्ष्मण सिद्ध मंदिर के नाम से जाना जाता है
और अन्य मान्यता के अनुसार

देहरादून से 12 किलोमीटर दूर ऋषिकेश मार्ग पर स्थित लक्ष्मण सिद्ध मंदिर , लक्ष्मण बाबा के भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है। ऐसी मान्यता है, कि भगवान दत्तात्रेय ने लोककल्याण के लिए अपने 84 शिष्य बनाये थे। और उन्हें अपनी सभी शक्तियां प्रदान की थी। कालांतर में ये चौरासी शिष्य ,84 सिद्ध के नाम से जाने गए। और इनके समाधि स्थल सिद्धपीठ या सिद्ध मंदिर बन गए। इन्ही 84 सिद्धों में देहरादून के चार सिद्ध भी हैं। और इन चारों में लक्ष्मण बाबा भी हैं।
देहरादून के लक्ष्मण सिद्ध मंदिर में संत लक्ष्मण के समाधि स्थल पर मत्था टेकने लोग दूर -दूर से आते हैं.

देहरादून का लक्ष्मण सिद्ध मंदिर ऋषि पीठ ऋषि दत्तात्रेय के चौरासी सिद्धों में से एक है. मान्यता है कि राजा दशरथ के बेटे लक्ष्मण ने जब मेघनाद का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति चाही तो इसी स्थान को उन्होंने तपस्या के लिए चुना था. उन्होंने यहीं पर समाधि ली. तब से इस मंदिर का नाम लक्ष्मण सिद्धपीठ मंदिर पड़ गया. बता दें कि तपस्या स्थल पर प्राचीन काल से निरंतर अखंड धुना जल रहा है. बताया जाता है कि इस अखंड धुने में कभी मुंह से फूंक नहीं मारी जाती है. यहां पर बनाये गये भोजन का ही भोग मंदिर में लगाया जाता है. धुने की राख को प्रसाद के तौर पर श्रद्धालुओं को वितरित किया जाता है.

मंदिर की ख़ासियत है कि यहां गुड़ का प्रसाद ही चढ़ाया जाता है. लोगों का मानना है कि जो भी यहां सच्चे मन से कामना करता है उसे आत्मीय शांति मिलती है. साथ ही उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस स्थल में लोगों की गहरी आस्था है. यहां आकर प्राकृतिक खूबसूरती का दीदार तो होता ही है, साथ ही लोगों को आत्मीय शांति भी मिलती है. सिद्धपीठ परिसर में ब्रह्मलीन हो चुके संतों,की समाधियां स्थित हैं। यहाँ भक्तगण अपनी आस्था प्रकट करते हैं। देहरादून लक्ष्मण बाबा के मंदिर में,हर साल अप्रैल के अंतिम रविवार को भव्य मेला होता है।

देहरादून के चार सिद्ध मंदिरों को देहरादून के चार धाम भी बोलते हैं। देहरादून के चार सिद्ध ,शहर के चार कोनो में स्थित है। बाबा कालू सिद्ध की समाधि देहरादून के कलुवाला जंगल में स्थित है। मानक सिद्ध की पीठ ,या मानक सिद्ध मंदिर ,देहरादून में प्रेमनगर के पास ,कार्रवारी गावँ में स्थित है। और मांडुसिद्ध कि समाधि,पौधा और आमवाला क बीच जंगल मे स्थित है। बाबा लक्ष्मण सिद्ध की समाधि कुवांवाला गाव के निकट जंगल में स्थित है । मांडुसिद्ध में बसंत पंचमी के दिन मेला लगता है।

मंदिर से ४०० मिटर जंगल के अंदर प्रचीन कुआँ उस् कुएँ की मान्यता लक्षण भगवान से जुड़ी बतायी जाती है जब माँ सीता जी को पानी की प्यास लगी तब लक्ष्मण भगवान अपने धनुष से कुएँ में तीर जल निकाला था और माता सीता जी की पानी से प्यास भुजायी थी

लक्ष्मण सिद्ध कैसे पहुचें –
लक्ष्मण सिद्ध मंदिर या देहरादून के 4 सिद्ध , देहरादून में धूमने लायक बहुत अच्छे धार्मिक स्थल हैं। देहरादून के इन चार सिद्ध स्थलों पर रविवार के दिन जाने का विशेष महत्व है। आप अपने परिवार के साथ देहरादून के प्रसिद्ध धर्मिक स्थल पर सुकून के कुछ पल बिता सकते हैं।

लक्ष्मण सिद्ध जाने के लिए देहरादून से बस मार्ग और रेल मार्गऔर वायु मार्ग से आवागमन उपलब्ध है। हर्रावाला तक बस ऑटो टैक्सी, विक्रम आदि का सहारा लेना पड़ेगा। वहाँ से आगे 1 किमी पैदल जाना पड़ता हैं। लक्ष्मण सिद्ध जाने के लिए, वायु मार्ग और रेल भी आस पास ही व्यवस्थित हैं।

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धन्यवाद दोस्तों

चलिए फिर मिलता हुआ एक और पोराणिक मंदिर की वीडियो पीरी मान्यता के साथ इसी आपके धार्मिक धरती चैनल में तब तक लिए अपना ध्यान रखिए खुश रहिए प्रभु की कृपा apke ऊपर हमेशा बनी रहे जय श्री राम जय लक्ष्मण भगवान जी जय हो







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