सॉमनम्बुलिज़्म – जब दिमाग सोता है लेकिन शरीर जागता है
आपने कभी सुना है कि कोई व्यक्ति रात को अचानक उठकर कमरे में घूमने लगे, बातें करने लगे या कुछ अजीब गतिविधियाँ करने लगे, और अगले दिन उसे कुछ याद न रहे? इसे विज्ञान की भाषा में सॉमनम्बुलिज़्म कहा जाता है, जिसे आम भाषा में “नींद में चलना” कहा जाता है। यह केवल कहानी या डरावनी फिल्म की बात नहीं है, बल्कि मस्तिष्क और शरीर की एक असामान्य लेकिन वास्तविक प्रक्रिया है। कल्पना कीजिए कि रात का समय है, घर में सब सो रहे हैं, चाँदनी खिड़कियों से छनकर कमरे में आ रही है और अचानक कोई आपके घर में हलचल करने लगता है, कदमों की आवाज़ें सुनाई देती हैं, दरवाजों पर हाथ फेरते हुए दिखाई देता है, या अचानक अपने कमरे से उठकर रसोई की ओर जाता है। ऐसे में वह व्यक्ति खुद भी यह नहीं जानता कि उसने यह सब क्या किया। इसे ही वैज्ञानिक दृष्टि से सॉमनम्बुलिज़्म कहा जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब हमारे मस्तिष्क के कुछ हिस्से गहरी नींद की अवस्था में होते हैं, जबकि शरीर का मोटर सिस्टम सक्रिय हो जाता है। नींद के दौरान मस्तिष्क के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग काम करते हैं। उदाहरण के तौर पर, जब हम गहरी नींद, विशेषकर स्टेज 3 नॉन-रेम नींद में होते हैं, तो मस्तिष्क का वह हिस्सा जो हमारी चेतना और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार होता है, वह लगभग निष्क्रिय हो जाता है, लेकिन शरीर को हिलाने-डुलाने वाला हिस्सा सक्रिय रह सकता है। इसी कारण व्यक्ति नींद में रहते हुए भी चल सकता है, बात कर सकता है, दरवाजे खोल सकता है या कभी-कभी खतरनाक वस्तुओं के पास भी जा सकता है। इस स्थिति में व्यक्ति की आंखें खुली भी हो सकती हैं, लेकिन उसका दिमाग पूरी तरह जागा नहीं होता, इसलिए वह इन घटनाओं को अगले दिन याद नहीं रखता। सॉमनम्बुलिज़्म के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे आम कारण तनाव और अत्यधिक थकान है। जब व्यक्ति दिनभर शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यधिक थका होता है, तो नींद का पैटर्न प्रभावित होता है और मस्तिष्क का गहरा हिस्सा कभी-कभी असामान्य तरीके से कार्य करने लगता है। इसके अलावा, अनियमित नींद भी इसका बड़ा कारण है। यदि आप रोजाना देर रात तक जागते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते, तो नींद के अलग-अलग चरणों में असमानता पैदा हो जाती है और सॉमनम्बुलिज़्म की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा अनुवांशिक कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं। परिवार में अगर किसी को नींद में चलने की आदत रही हो, तो बच्चों में यह प्रवृत्ति अधिक दिखाई दे सकती है। कभी-कभी यह समस्या दवाईयों, बुखार या न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के कारण भी उत्पन्न हो सकती है, जैसे कुछ मानसिक दबाव या मस्तिष्क से संबंधित अन्य कारण। इस स्थिति में सावधानी बरतना अत्यंत आवश्यक है। सबसे पहले, यदि कोई व्यक्ति नींद में चल रहा हो, तो उसे अचानक जगाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे वह डर सकता है और अनजाने में खुद को या किसी और को चोट पहुँचा सकता है। कमरे में मौजूद खतरनाक वस्तुएँ जैसे तेज धार वाले बर्तन, बिजली के उपकरण, ऊँची सीढ़ियाँ या फर्नीचर को सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए। इसके अलावा, यदि यह समस्या बार-बार हो रही है, तो नींद विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है, ताकि सही निदान और प्रबंधन किया जा सके। विज्ञान ने यह भी बताया है कि नींद में चलने वाले व्यक्ति के दिमाग के कुछ हिस्से पूरी तरह नींद में रहते हैं, जबकि अन्य हिस्से सक्रिय रहते हैं, यही कारण है कि वह चल सकता है, दरवाजा खोल सकता है या बात कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसकी पूरी चेतना जागरूक नहीं होती। यह स्थिति आम तौर पर हानिरहित होती है, लेकिन कभी-कभी दुर्घटना या चोट का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में परिवार के सदस्यों और आस-पड़ोस के लोगों को समझना चाहिए कि यह व्यक्ति जागरूक नहीं है, इसलिए उसे डांटना या डराना गलत है। इसके बजाय, सुरक्षा के उपाय अपनाना और नियमित नींद सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इस स्थिति में कुछ तकनीकें और सुझाव भी उपयोगी साबित हो सकते हैं, जैसे सोने का समय नियमित करना, सोने से पहले मानसिक शांति के लिए ध्यान या हल्का संगीत सुनना, और नींद में चलने की आदत वाले व्यक्ति के कमरे को सुरक्षित बनाना। यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर या न्यूरोलॉजिस्ट की मदद लेकर नींद में चलने की प्रवृत्ति को कम किया जा सकता है। कुल मिलाकर, सॉमनम्बुलिज़्म एक ऐसा वास्तविक और वैज्ञानिक रूप से समझा जाने वाला रोग या स्थिति है, जिसमें दिमाग सोता है लेकिन शरीर जागा रहता है। यह न केवल रोचक है बल्कि विज्ञान और मस्तिष्क की जटिलताओं को भी दर्शाता है। इसके पीछे कारण, लक्षण और सावधानी सभी मिलकर यह बताते हैं कि कैसे हमारे मस्तिष्क और शरीर का तालमेल कभी-कभी असमान हो सकता है और इसके परिणामस्वरूप नींद में चलने जैसी घटनाएँ घट सकती हैं।#news
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