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Скачать или смотреть 📿शत् चण्डी हवन सामग्री📿

  • Self Knowledge For Dks
  • 2023-06-13
  • 20
📿शत् चण्डी हवन सामग्री📿
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Описание к видео 📿शत् चण्डी हवन सामग्री📿

मां ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया, जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में श्री दुर्गा सप्तशती नामक गंथ में वर्णित है। श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को 108 बार करने को शतचंडीपाठ महायज्ञ कहा जाता है, पाठ को 1000 बार करने को सहस्रचंडी महायज्ञ कहा जाता है और पाठ को एक लाख बार करने पर लक्ष्यचंडी महायज्ञ कहा जाता है…
मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ विधि को पूर्ण किया जाता है, उसे शतचंडी यज्ञ बोला जाता है। नवचंडी यज्ञ को सनातन धर्म में बेहद शक्तिशाली वर्णित किया गया है। इस यज्ञ से बिगड़े हुए ग्रहों की स्थिति को सही किया जा सकता है और सौभाग्य इस विधि के बाद आपका साथ देने लगता है। इस यज्ञ के बाद मनुष्य खुद को एक आनंदित वातावरण में महसूस कर सकता है। वेदों में इसकी महिमा के बारे में यहां तक कहा गया है कि शतचंडी यज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। इस यज्ञ को गणेशजी, भगवान शिव,नवग्रह और नव दुर्गा (देवी) को समर्पित करने से मनुष्य जीवन धन्य होता है। यज्ञ विद्वान ब्राह्मण द्वारा किया जाता है, क्योंकि इसमें 700 श्लोकों का पाठ किया जाता है, जो एक निपुण ब्राह्मण ही कर सकता है। नव चंडी यज्ञ एक असाधारण,बेहद शक्तिशाली और बड़ा यज्ञ है, जिससे देवी मां की अपार कृपा होती है। सनातन इतिहास में कई जगह ऐसा आता है कि पुराने समय में देवता और राक्षस लोग इस यज्ञ का प्रयोग ताकत और ऊर्जावान होने के लिए निरंतर प्रयोग करते थे। शतचंडी पाठ महायज्ञ को करने वाला ब्राह्मण विद्वान होना चाहिए, जो पाठ का शुद्ध उच्चारण कर सके, जिससे लाभ की प्राप्ति हो। अगर पाठ का अशुद्ध उच्चारण हुआ, तो तत्काल हानि की प्राप्ति होती है।

शतचंडी यज्ञ की कथा

अत्याचार से सकल चराचर जगत में त्राहि-त्राहि मच रही थी, तभी बह्मा, विष्णु महेश की उपासना से महा शक्ति के रूप में जगत जननी मां दुर्गा जी प्रकट हुईं और मां दुर्गा जी इस उपासना से प्रसन्न हुईं और देवताओं से वरदान मांगने को कहा। तभी देवताओं ने राक्षसों से पृथ्वी को भय मुक्त कराने के लिए मां दुर्गा जी से आग्रह किया। मां ने महाकाली के रूप में राक्षसों का संहार किया, जिसका वर्णन मार्कंडेय पुराण में श्री दुर्गा सप्तशती नामक गं्रथ में वर्णित है। श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ को 108 बार करने को शतचंडी पाठ महायज्ञ कहा जाता है, पाठ को 1000 बार करने को सहस्रचंडी महायज्ञ कहा जाता है और पाठ को एक लाख बार करने पर लक्ष्यचंडी महायज्ञ कहा जाता है।

शतचंडी पाठ महायज्ञ करने की विधि

शतचंडी पाठ महायज्ञ के सर्वतोभद्रमंडल, षोडसमात्रिकामंडल, नवग्रहमंडल, वास्तुमंडल, क्षेत्रपालमंडल,पंचांगमंडल आदि इन मंडलों पर देवी-देवताओं का ध्यान, आवाहन, पूजन करके पाठ संपन्न कराया जाता है।

यज्ञ करने के लिए सबसे पहले हवन कुंड का पंचभूत संक्कार किया जाता है इसके लिए कुश के अग्रभाग से वेदी को साफ किया जाता है।

उसके बाद गाय के गोबर व स्वच्छ जल से कुंड का लेपन किया जाता है।

तत्पश्चात वेदी के मध्य बाएं से तीन खड़ी रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर अलग-अलग खिंचें।

फिर रेखाओं के क्रमानुसार अनामिका व अंगूठे से कुछ मिट्टी हवन कुंड से बाहर फेंकें उसके बाद दाहिने हाथ से शुद्ध जल वेदी में छिड़कें।

इस प्रकार पंचभूत संस्कार करने के बाद आगे की क्रिया शुरू करते हुए अग्नि प्रज्वलित कर अग्निदेव का पूजन करें।

इसके बाद भगवान गणेश सहित अन्य ईष्ट देवों की पूजा करते हुए मां दूर्गा की पूजा शुरू करें।

शतचंडी पाठ से पहले यह करें

संकल्प शापविमोचन कवच अर्गला कीलक एवं न्यास नर्वाण मंत्र जप एवं पाठ के अंत में न्यास नवार्ण मंत्र, जप देवी सूक्तम त्रयरहस्य, सिद्धकुंजिका स्त्रोत, क्षमा प्रर्थना का पाठ करने से पाठ की पूर्ति होती है। यह आदि शक्ति जगत जननी मा जगदंबा की उपासना में विशेष प्रभावशाली होता है।

शतचंडी पाठ महायज्ञ से लाभ

यह पाठ मनुष्य के जीवन में विशेष परिस्थिति में जैसे शत्रु पर विजय, मनोवांछित नौकरी की प्राप्ति, नौकरी में प्रमोशन, व्यापार में वृद्धि, परिवार में कलह क्लेश से मुक्ति एवं विभिन्न प्रकार की परेशानियों से मुक्ति आदि पाने के लिए कराया जाता है। शतचंडी पाठ करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां दुर्गा की विशेष कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है। इस पाठ को करने से सभी बिगड़े काम बन जाते हैं।


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