Accha Likhne ka Formula- Javed Akhtar || Metaphor Litfest ||

Описание к видео Accha Likhne ka Formula- Javed Akhtar || Metaphor Litfest ||

जावेद अख्तर जी से बातचीत में कौसर मुनीर | जावेद जी किसी त'आरुफ़ के मोहताज
नही हैं |

वीडियो की शुरुआत में फिल्म दीवार के शीर्षक को लेकर बात हो रही है | जावेद साहब बता रहे हैं कि उस वक्त फिल्म का शीर्षक चुन्ना भी एक समस्या थी हमारी हमारे लिए |

आज के दौर के और उस दौर के लेखक में फर्क है | जावेद साहब ने समझाते हुए कहा कि उस समय लिखते वक्त उन्हें यह 'सामाजिक-आर्थिक' 'सामाजिक राजनीतिक' का क्या संदर्भ है लेख से | यह सब बड़ी-बड़ी बातें उन्हें नहीं मालूम थी |

जावेद जी ने अच्छा लिखने का फार्मूला बताते हुए कहा कि लेखक दुनिया कि कोई भी कहानी, किस्सा लिखें, लेखक कि आत्मकथा उसके बारें में कहीं ना कहीं उसके लेखन में झलकती हैं |
आपको समाज को देखकर नहीं लिखना चाहिए चूंकि आप भी उसी समाज का हिस्सा है उन विचारों को अपने अंदर से लाइए | तभी आप की कहानी को लोग अपने से जुड़ेंगे |


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