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Скачать или смотреть एक राजा था एक थी रानी, लेकिन रानी रुकी नही किसी से भी किसी भी तरह || The Kshatriya Legacy

  • The Kshatriya Legacy
  • 2023-04-08
  • 10073
एक राजा था एक थी रानी, लेकिन रानी रुकी नही किसी से भी किसी भी तरह || The Kshatriya Legacy
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Описание к видео एक राजा था एक थी रानी, लेकिन रानी रुकी नही किसी से भी किसी भी तरह || The Kshatriya Legacy

एक राजा था एक थी रानी
________________________

उस समय देश राजतंत्र और लोकतंत्र के बीच जद्दोजेहाद की स्थिति में था।राजे महाराजे अपने महल तक सिमट कर रह गए।गरीब जनता के मन मे तो अब भी इस नई व्यवस्था को लेकर कोई खास संतोष का भाव नही था लेकिन शिक्षित वर्ग लोकतंत्र के नाम पर भविस्य की बड़ी बड़ी इमारतें खड़ी कर रहा था.

जब वह राजा और रानी खुली जीप में अपने महल से पोलो खेलने पोलो मैदान जाते तो जयपुर की जनता सड़को पर कूद पडती।मिनटों का सफर घंटो में तय होता।इंस्टूमेंट ऑफ ऐक्सेसन पर अपनी रियासत दे चुके राजा का दरबार अब सड़को पर ही लगने लगा राजा सुनते जाते रानी भी मुस्कुराती जाती।जनता को तुरंत समाधान भी मिलता।हर कोई फरियाद लेकर भी तो नही आता था ज्यादातर तो अपनी रानी को देखने भर आते थे.

राजा और रानी की जीप पोलो ग्राउंड पहुंचती राजा घोड़े पर दौड़ता रानी इंग्लिश में कमेंट्री करती और जयपुर की जनता का बस दिन बन जाता।तमाम फरियादों के बीच एक फरियाद ऐसी भी थी कि पोलो ग्राउंड की बाउंड्री को तोड़कर थोड़ा नीचे कर दिया जावे बाउंड्री ऊंची होने से जनता अपने राजा का पोलो खेल और रानी की इंग्लिश कमेंट्री नही देख पाती.

तभी एक ब्रिटिश पत्रकार ने रानी से पूंछ लिया कि डेमोक्रेसी आपको कैसी लग रही है।रानी ने कहा कि मुझे किसी व्यवस्था से फर्क नही पड़ता लेकिन इस व्यवस्था में मुझसे लोगो की समस्याएं देखी नही जाती।अब हम कानून नही बना सकते।लोग तरह-तरह की फरियाद लेकर दरबार के पास आते है।लेकिन कुछ फरियादे ऐसी होती है जिसमे हम कुछ नही कर सकते.

[अब रानी को लगने लगा कि क्यो ना इस नई व्यवस्था में ही आया जावे]

राजा एक राजा से अधिक जेंटलमेन था और रानी ब्यूटी विद ब्रेन का परफेक्ट एग्जामपल।राजा जयपुर मे पैदा होकर अंग्रेजी बोलता था और रानी लंदन में पैदा होकर "खम्मा घणी" दोनों की मुलाकात भी लंदन में हुई दोनों मुहब्बत में गिरफ्तार हुए रानी जयपुर आ गई और जयपुर में डेमोक्रेसी.

जयपुर में डेमोक्रेसी आई और रानी सड़को पर।डेमोक्रेसी सामन्तवाद की आलोचना में लिपटी आई और रानी गुलाबी रेशमी साड़ी में,

चुनाव हुए मतदान हुआ और जयपुर में परिणाम और गिनीज बुक की टीम दोनों एक साथ आये।रानी की जीत विश्व रिकॉर्ड बन गई।रानी अब जयपुर की सांसद थी बोले तो जनता की जनता के लिए जनता के द्वारा चुनी गई प्रतिनिधि।एक बार भी नही तीन बार वह भी एक नए रिकॉर्ड के साथ.

उस राजा का नाम सवाई मान सिंह द्वितीय और रानी का नाम महारानी गायत्री देवी था।लोगो पर रानी के नाम का जादू था जादू भी ऐसा की इस जादू से दिल्ली तक हिलती थी।इंदिरा गांधी की नींद हराम थी रानी रुकी नही किसी से भी किसी भी तरह.

फिर एक अनर्थ हुआ लोकतंत्र के नाम पर ही नई व्यवस्था देने वालो को वह लोकतंत्र खुद के लिए खतरा लगने लगा।फिर लोकतंत्र को हलाल किया गया।1975 में रानी पहले महल में फिर सड़को पर और आपातकाल की नई व्यवस्था में रानी की जगह थी दिल्ली की तिहाड़ जेल.

लेकिन रानी रुकी नही किसी से भी किसी भी तरह

राजा स्वर्ग सिधार चुके थे रानी अकेली थी और रानी के सामने थी एक पूरी व्यवस्था जिसकी आंख में रानी किरकिरी बनी हुई थी।अब रानी महारानी गायत्री देवी से राजमाता गायत्री देवी बन चुकी थी...

फिर...

फिर रानी महल से सड़क,सड़क से जेल और जेल से फिर महल वापस आ गई.

"एक था राजा एक थी रानी,दोनों मर गए खत्म कहानी"

विशेष टिप्पणी : मेरा खुद का कछवाहा वंश से रक्त सम्बन्ध होने के बावजूद भी आमेर/जयपुर के राजाओ के प्रति मेरे मन मे कोई खास सम्मान का भाव नही है तिस पर भी मुगलकालीन राजाओं के लिए तो शायद नाममात्र भी नही लेकिन सवाई मान सिंह द्वितीय और राजमाता गायत्री देवी जैसे किरदार के आगे मैं नतमस्तक हूँ।राजमाता इस देश मे नारी शसक्तीकरण की सर्वोच्च नायिका है।

मेरी सबसे प्रिय किरदार राजमाता गायत्री देवी की जयंती पर उन्हें हृदय से कोटिश नमन

✍ लोकेन्द्र सिंह

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