श्री ब्रम्हलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वतीजी की जयंती पर भव्य शोभायात्रा निकाली गई

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आज 6 सितम्बर शुक्रवार को भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (हिरतालिका तीज) परम पवित्र तिथि है, इसी तिथि में आज से 100 वर्ष पूर्व मध्यप्रदेश के सिवनी जनपद के दिघोरी ग्राम में परम पूज्य प्रातः स्मरणीय सद्गुरुदेव भगवान् जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का प्राकट्य हुआ था ।
सनातन धर्म की संरक्षा व संवर्धन के अनेक लोक कल्याणकारी कार्य करने वाले , गुरुभक्तों के सर्वस्व , स्वतन्त्रतासंग्राम सेनानी, युगदृष्टा , युगप्रवर्तक पूज्य गुरुदेव के प्राकट्य दिवस की सभी गुरुभक्तों को अनेकानेक बधाई और शुभकामनायें ।
आज विद्यालय श्री शंकराचार्य बाल विद्या निकेतन झोंतेश्वर में पूज्य श्री ब्रम्हलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के जन्म जयंती महोत्सव पर अनेकानेक आयोजनों के साथ बड़ी ही भव्यता के साथ त्यौहार मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में भगवती एवं गुरु पूजन, प्राचार्या श्रीमती सुरभी तिवारी जी एवं प्राचार्य श्री के के द्विवेदी जी की उपस्थिति में, वैदिक मंत्रों के माध्यम से संपन्न हुआ। समस्त विद्यालयीन शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा पूजन करने के पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि संपन्न हुए। विद्यालय शिक्षक श्री राहुल जैन द्वारा पूज्य गुरुदेव के जीवन के सोपानों का संक्षिप्त में विवरण दिया। प्राचार्य श्री द्विवेदी जी ने गुरु महिमा का बखान किया। इसके बाद विद्यालय से बसों एवं पदयात्रा के माध्यम से , विद्यालय अध्यक्ष श्री उमेश तिवारी जी की अगुवाई में समस्त विद्यालय परिवार, छात्र छात्राएं कतार बद्ध तरीके से एक विशाल शोभायात्रा के साथ, पूर्ण गाजे बाजे, ढोल संगीत आदि के साथ पूज्य गुरुदेव के समाधि मंदिर की ओर चले। सभी का उत्साह देखने लायक था। संस्था श्री शंकराचार्य नेत्रालय के बंधुओं का भी शोभायात्रा में अद्भुत एवं अविरल उत्साह दिखा। मार्ग में घर घर में तोरण, बंदनवार, चौक, रंगोली, दीप धूप आदि से धर्म प्रेमी स्वजनों ने पूज्य गुरुदेव की पादुका का पूजन किया। यात्रा बड़ी ही दर्शनीय थी। विद्यालय के स्काउट के विद्यार्थियों के द्वारा पूज्य गुरुदेव के समाधि स्थल पर विशेष विधि द्वारा सेल्यूट दिया गया। समस्त विद्यालयीन शिक्षक शिक्षिकाओं एवं छात्र छात्राओं द्वारा पूज्य गुरुदेव के समाधि स्थल पर उन्हें नमन् एवं पुष्पांजलि अर्पित की। तत्पश्चात् सभी जनों को भोजन एवं प्रसादी का वितरण हुआ। इस तरह अनेकानेक भव्य आयोजनों के साथ पूज्य ब्रम्हलीन गुरुदेव जी का जन्म जयंती समारोह सानंद संपन्न हुआ।

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