वो शख्स ग़र हमारा न होगा ऐसे तो फ़िर || Poetry by अनिल ठाकरे ||

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नोट : 🪧 प्रस्तुत वीडियो में कलाकार के विचार निजी हैं,TRP मंच इन के मौलिक होने की पुष्टि नहीं करता,न ही क्रेडिट पर आधिपत्य स्थापित करता है।

आप सभी कलाकारों की भूमिका आवश्यक है सभी मायनों में ,नई पीढ़ी के लिखने पढ़ने का सही लिखने के और अच्छा पढ़ने के मानक और दिशा निर्देशक रूप में हमारे लिए कोई तो होना ही चाहिए जो लिख रहे हैं नए बालक वो असल मायने में लिख रहे हैं या कुछ भी लिख रहे हैं

ये सब बताने और राह दिखाने के लिए हमें क्या पढ़ना चाहिए और साहित्य से समाज की सेवा, और जो असल में प्रतिभा शाली हैं सुदूर गाँव में उन तक साहित्य कैसे पहुँचे और वो साहित्य से समाज की मुख्य धारा में कैसे जुड़ें

“ नई पीढ़ी के ग्रामीण कवियों औऱ कलाकारों का संगम ” ये थीम है इस पहल की : कि स्थापित कवियों के साथ साथ नई पीढ़ी की नई पौद्ध कैसे तैयार होगी जो असल में सामाजिक बदलाव के मानक तय कर सकने में अहम भूमिका निभा सकेगी कालांतर में,,

ये platform बनाया ही गया है आशा,उम्मीद, शक्ति और संभावना से भरे नए लेखकों को ढूंढ़ने व गढ़ने के लिए, संगीत और हास्य लेखन विधा का ही भाग होने के चलते शामिल किया गया है platform देने के लिए,

बहुधा ये मंच नए कवियों की खोज जो कहीं न कहीं शहर से दूर और शहर में ही रहकर छुटपुट लिखता रहता है उसको साधने के लक्ष्य को लेकर चला है ये Platform जिसका नाम है ( theruralpoets )

अतः आप सभी कलमकारों औऱ कलाकारों के लिए मंच खुला है 🙏


आपका स्वागत है #TRP #trp


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