Pandupol Hanuman ji Real Story पांडुपोल हनुमान मंदिर में आखिर ऐसा क्या है जो लोग वहां पर खिंचे चले जाते हैं #ram #hanuman #pandupol #bhakti
पांडुपोल हनुमान मंदिर: सरिस्का की रहस्यमयी कहानी – पांडवों से हनुमान तक की दिव्य यात्रा
नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है जहां पौराणिक कथाएं जीवंत हो उठती हैं और प्रकृति के बीच भगवान हनुमान की दिव्य उपस्थिति महसूस होती है? आज हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर की। यह मंदिर न सिर्फ भक्ति का केंद्र है, महाभारत काल की एक रहस्यमयी कहानी से जुड़ा हुआ है, जहां पांडवों की यात्रा और हनुमान जी का चमत्कार आज भी लोगों को आकर्षित करता है। अगर आप हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं, भक्ति ज्ञान और दिव्य स्थलों के शौकीन हैं, तो यह लेख आपके लिए है। चलिए, इस दिव्य यात्रा में हम साथ चलते हैं और जानते हैं इस मंदिर के हर रहस्य को।
सरिस्का में पांडुपोल हनुमान मंदिर की पौराणिक कथा क्या है?
दोस्तों, पांडुपोल हनुमान मंदिर की कहानी महाभारत से सीधे जुड़ी हुई है। किंवदंती के अनुसार, जब पांडव अपने वनवास के दौरान सरिस्का के घने जंगलों से गुजर रहे थे, तब उन्हें एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ा। भीम, जो अपनी ताकत के लिए प्रसिद्ध थे, एक जगह पर रुक गए जहां एक विशाल चट्टान रास्ता रोक रही थी। यह चट्टान कोई साधारण पत्थर नहीं थी, बल्कि स्वयं भगवान हनुमान थे, जो वानर रूप में लेटे हुए थे। आगे की कहानी पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट को विकसित करें www.ShreeGyan.in
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पांडुपोल हनुमान मंदिर कैसे पहुंचें और दर्शन का समय
अब बात करते हैं व्यावहारिक पक्ष की। पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के अंदर स्थित है, जो जयपुर से करीब 110 किलोमीटर दूर है। अगर आप दिल्ली से आ रहे हैं, तो करीब 200 किलोमीटर का सफर है। सबसे अच्छा तरीका है कार या बस से अलवर पहुंचना, फिर सरिस्का गेट से जीप सफारी लेकर मंदिर जाना। ध्यान रखें, रिजर्व में प्रवेश के लिए परमिट जरूरी है, और सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक ही दर्शन संभव हैं।
मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष पूजा होती है, जहां भक्त हनुमान जी को लड्डू और सिंदूर चढ़ाते हैं। अगर आप व्रत कथाओं के शौकीन हैं, तो हनुमान जयंती पर यहां का मेला जरूर देखें। सलाह – गर्मियों में सुबह जल्दी जाएं, क्योंकि जंगल की गर्मी थका सकती है।
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