बंगाल में द्वैध शासन, द्वैध शासन प्रणाली क्या है, द्वैध शासन, द्वैध शासन क्या है, रॉबर्ट क्लाइव

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बंगाल में द्वैध शासन

बक्सर के युद्ध में विजय प्राप्त करने के पश्चात ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने रॉबर्ट क्लाइव को पुनः बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया। रॉबर्ट क्लाइव ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के पक्षकार के तौर पर बक्सर के युद्ध में हारे हुए पक्षों के साथ इलाहाबाद में संधि की। मुगल बादशाह शाह आलम से क्लाइव ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त कर ली बदले में 26 लाख रुपए वार्षिक देना तय हुआ। इस प्रकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल बिहार और उड़ीसा से राजस्व वसूल करने का अधिकार मिल गया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को प्राप्ति यही अधिकार बंगाल में द्वैध शासन का जनक बना। इस प्रकार द्वैध शासन के जनक के रूप में रॉबर्ट क्लाइव को माना जाता है। बंगाल में द्वैध शासन 1765 से 1772 तक चलता रहा। 1772 में बंगाल में गवर्नर नियुक्त वारेन हेस्टिंग ने इस द्वैध शासन प्रणाली का अंत कर दिया और बंगाल का संपूर्ण प्रशासन अपने नियंत्रण में ले लिया।

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बंगाल में द्वैध शासन
द्वैध शासन प्रणाली
द्वैध शासन प्रणाली क्या है
द्वैध शासन क्या है
द्वैध शासन प्रणाली का जनक
द्वैध शासन व्यवस्था
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द्वैध शासन का अंत
शासन प्रणाली का अंत किसने किया
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