Jayasi Ka Jeevan Parichay | जायसी की पद्मावत Padmaavat | जीवनी | Jayasi Biography | जायसी की रचनाएँ

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मलिक मुहम्मद जायसी (अंग्रेज़ी: Malik Muhammad Jayasi, जन्म- 1397 ई॰ और 1494 ई॰ के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्तिकाल की निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा व मलिक वंश के कवि है। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है। यह इस बात को भी सूचित करता है कि वे जायस नगर के निवासी थे। इस संबंध में उनका स्वयं भी कहना है :-

जायस नगर मोर अस्थानू।
नगरक नाँव आदि उदयानू।
तहाँ देवस दस पहुने आएऊँ।
भा वैराग बहुत सुख पाएऊँ॥

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जायसी ने 'पद्मावत' (22) में अपने चार मित्रों की चर्चा की है, जिनमें से युसुफ़ मलिक को 'पण्डित और ज्ञानी' कहा है, सालार एवं मियाँ सलोने की युद्ध-प्रियता एवं वीरता का उल्लेख किया है तथा बड़े शेख को भारी सिद्ध कहकर स्मरण किया है और कहा है कि ये चारों मित्र उनसे मिलकर एक चिह्न हो गए थे परन्तु उनके पूर्वजों एवं वंशजों की भाँति इन लोगों का भी कोई प्रमाणिक परिचय उपलब्ध नहीं है।

मुख्य लेख : पद्मावत
यह महाकाव्य जायसी की काव्य-प्रतिभा का सर्वोत्तम प्रतिनिधि है। इसमें चित्तौड़ के राजा रलसेन और सिंहलद्वीप की राजकुमारी पद्मावती की प्रेमकथा वर्णित है। कवि ने कथानक इतिहास से लिया है परन्तु प्रस्तुतीकरण सर्वथा काल्पनिक है। भाव और कला-पक्ष, दोनों ही दृष्टियों से यह एक उत्कृष्ट रचना है। पद्मावत इनका ख्याति का स्थायी स्तम्भ है। 'पद्मावत' मसनवी शैली में रचित एक प्रबंध काव्य है। यह महाकाव्य 57 खंडो में लिखा है। जायसी ने दोनों का मिश्रण किया है। पद्मावत की भाषा अवधी है। चौपाई नामक छंद का प्रयोग इसमे मिलता है। इनकी प्रबंध कुशलता कमाल की है। जायसी के महत्त्व के सम्बन्ध में बाबू गुलाबराय लिखते है:- जायसी महान् कवि है ,उनमें कवि के समस्त सहज गुण विद्मान है। उन्होंने सामयिक समस्या के लिए प्रेम की पीर की देन दी। उस पीर को उन्होंने शक्तिशाली महाकाव्य के द्वारा उपस्थित किया । वे अमर कवि है।


मुख्य लेख : अखरावट
अखरावट सृष्टि की रचना को वर्ण्य विषय बनाया गया है। अखरावट के विषय में जायसी ने इसके काल का वर्णन कहीं नहीं किया है। सैय्यद कल्ब मुस्तफा के अनुसार यह जायसी की अंतिम रचना है।


मुख्य लेख : आख़िरी कलाम
'आख़िरी कलाम' ग्रन्थ में इस्लामी मान्यता के अनुसार प्रलय का वर्णन है। जायसी रचित महान् ग्रंथ का सर्वप्रथम प्रकाशन फ़ारसी लिपि में हुआ था। इस काव्य में जायसी ने मसनवी- शैली के अनुसार ईश्वर- स्तुति की है।


मुख्य लेख : चित्ररेखा
यह भी एक प्रेमकथा है किन्तु 'पद्मावत' की तुलना में यह एक द्वितीय श्रेणी की रचना है। जायसी ने पद्मावत की ही भांति "चित्ररेखा' की शुरुआत भी संसार के सृजनकर्ता की वंदना के साथ किया है। इसमें जायसी ने सृष्टि की उद्भव की कहानी कहते हुए करतार की प्रशंसा में बहुत कुछ लिखा है। इसके अलावा इसमें उन्होंने पैगम्बर मुहम्मद साहब और उनके चार मित्रों का वर्णन सुंदरता के साथ किया है। इस प्रशंसा के बाद जायसी ने इस काव्य की असल कथा आरंभ किया है।


मुख्य लेख : कहरानामा
कहरानामा का रचना काल 947 हिजरी बताया गया है। यह काव्य ग्रंथ कहरवा या कहार गीत उत्तर प्रदेश की एक लोक- गीत पर आधारित में कवि ने कहरानाम के द्वारा संसार से डोली जाने की बात की है।

इनके अतिरिक्त 'महरी बाईसी' तथा 'मसलानामा' भी आपकी ही रचनाएँ मानी जाती हैं परन्तु जायसी की प्रसिद्धि का आधार तो 'पद्मावत' महाकाव्य ही है।


अन्य कृतियाँ :-
जायसी की मुख्य कृतियों के अलावा इनकी अतिरिक्त 'मसदा', 'कहरनामा', 'मुकहरानामा' व 'मुखरानामा', 'मुहरानामा', या 'होलीनामा', 'खुर्वानामा', 'संकरानामा', 'चम्पावत', 'मटकावत', 'इतरावत', 'लखरावत', 'मखरावत' या 'सुखरावत' 'लहरावत', 'नैनावात', 'घनावत', 'परमार्थ जायसी' और 'पुसीनामा' रचनाएँ भी जायसी की बतायी जाती हैं। किन्तु इनके विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं है।

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