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Скачать или смотреть आखिर भगवान शिव पर भस्म क्यों लगाई जाती है? जानिए भगवान शिव और उन पर चढ़ने वाली भस्म का रहस्य!

  • हिंदू व्रत कथा Hindu Vrat Katha
  • 2025-07-19
  • 49
आखिर भगवान शिव पर भस्म क्यों लगाई जाती है? जानिए भगवान शिव और उन पर चढ़ने वाली भस्म का रहस्य!
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आखिर भगवान शिव पर भस्म क्यों लगाई जाती है? जानिए भगवान शिव और उन पर चढ़ने वाली भस्म का रहस्य! #shiv

आखिर भगवान शिव पर भस्म क्यों लगाई जाती है? जानिए भगवान शिव और उन पर चढ़ने वाली भस्म का रहस्य!
जब सती ने स्वंय को अग्नि में समर्पित कर दिया था, तो उनकी मृत्यु का संदेश पाकर भगवान शिव क्रोध और शोक में अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। वे अपनी पत्नी के मृत शव को लेकर इधर-उधर घूमने लगे, कभी आकाश में, तो कभी धरती पर। जब श्रीहरि ने शिवजी के इस दुख एवं उत्तेजित व्यवहार को देखा तो उन्होंने शीघ्र से शीघ्र कोई हल निकालने की कोशिश की।अंतत: उन्होंने भगवान शिव की पत्नी के मृत शरीर का स्पर्श कर इस शरीर को भस्म में बदल दिया। हाथों में केवल पत्नी की भस्म को देखकर शिवजी और भी चितिंत हो गए, उन्हें लगा वे अपनी पत्नी को हमेशा के लिए खो चुके हैं।
अपनी पत्नी से अलग होने के दुख को शिवजी सहन नहीं पर पा रहे थे, लेकिन उनके हाथ में उस समय भस्म के अलावा और कुछ नहीं था। इसलिए उन्होंने उस भस्म को अपनी पत्नी की अंतिम निशानी मानते हुए अपने तन पर लगा लिया, ताकि सती भस्म के कणों के जरिए हमेशा उनके साथ ही रहें। दूसरी ओर एक अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार भगवान शिव ने साधुओं को संसार और जीवन का वास्तविक अर्थ बताया था जिसके अनुसार राख या भस्म ही इस संसार का अंतिम सत्य है। सभी तरह की मोह-माया और शारीरिक आर्कषण से ऊपर उठकर ही मोक्ष को पाया जा सकता है
ऐसा भी कहा जाता है एक बार भगवान शिव के सामने से एक मुर्दे को लेकर लोग जा रहे थे,भगवान शिव ने देखा कि लोग उस मुर्दे में पीछे पीछे चल रहे है और जो जो से कह रहे है राम नाम सत्य है राम नाम सत्य है,भगवान बोले ये तो मेरे प्रभु का नाम ले रहे है ये आगे कौन सा महान व्यक्ति जा रहा है जिसके पीछे लोग प्रभु का नाम ले रहे है भगवान भी उनके पीछे चलने लगे और कहने लगे राम नाम सत्य है।
जब शमशान में पहुंचे तो भगवान शिव ने देखा कि सब ने राम का नाम लेना बंद कर दिया, और घर गृहस्थी कि बाते करने लगे कोई बोला दूकान खोलना है लेट हो रहा हूँ, कोई बोला इसको भी आज ही मरना था। शिव सोचने लगे इन्होने तो नाम लेना बंद ही कर दिया, फिर थोड़ी देर बार एक-एक करने सब चले गए,शिव जी वही शमशान में खड़े रहे,जब मुर्दा जल गया तो भगवान शिव बोले इसकी वजह से लोग मेरे प्रभु का नाम ले रहे थे ये तो बड़ा महान व्यक्ति है और तुरत भगवान ने उसकी चिता की भस्म लेकर अपने शरीर में मल ली,और तब से भस्म रमाने लगे।
भस्म को भगवान शिव का वस्त्र बताया गया है जिसके पीछे वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण होता हैं। भस्म को शरीर पर लगाने से सर्दी में सर्दी और गर्मी में गर्मी नहीं लगती। यह त्वचा संबंधित रोगों का भी निवारण करती हैं। भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना सीखों।
निर्वस्त्र शरीर भस्मधारी भस्म हर आकार का आखिरी निरंकार है। मानव हो या पशु सबका अंत भस्म ही है और उसे ही भगवान शिव अपने शरीर पर धारण करते हैं। उन्हीं से सब जन्में है और उन्हीं में ही मिल जाएंगे यही वजह है की शिव भस्म धारण करते हैं। शिव का शरीर पर भस्म लपेटने का दार्शनिक अर्थ यही है कि यह शरीर जिस पर हम गर्व करते हैं, जिसकी सुरक्षा का इतना इंतजाम करते हैं। इस भस्म के समान हो जाएगा। शरीर क्षणभंगुर है और आत्मा अनंत। शरीर की गति प्राण रहने तक ही है। इसके बाद यह श्री हीन, कांतिहीन हो जाता है।
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