NaadYoga #Gayatri
नाद योग साधना केवल हर रोज 15 मिनट आपका जीवन बदल देगा— नाद योग साधना आम तौर पर यदि हम इस विषय में सोचे तो हमें लगता है की किसी ध्वनि से संबंधित विषय पर बातचीत होने वाली है...लेकिन यदि इसकी गहराई में जाए तो पता चलता है की यह कितना कारगर है... अगर सरल शब्दों में कहें, तो नादयोग एक प्रकार का संगीत ध्यान है। दरअसल, नाद का मतलब होता है ध्वनि या आवाज, जिसकी मदद से इस योग को किया जाता है। नाद योग शरीर, मन और आत्मा के बीच तालमेल स्थापित कर प्राकृतिक रूप से शारीरिक समस्याओं के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है..देखिए अगर मैं शब्दों को विभाजित करु तो इसके अर्थों को समझें तो ‘ना’ का मतलब होता है – सांस और ‘दा’ का अर्थ होता है – ऊर्जा। नाद योग साधना के जरिए ध्वनि के माध्यम से शरीर में नई ऊर्जा का विकास किया जा सकता है। इसके पहले की मैं आपको इसके फायदे बताऊ..इसे करने के तरीके के बारे में जान लेते है... किसी भी योग साधना को करने के लिए उसका सही तरीका पता होना चाहिए, तभी इसका लाभ मिल सकता है। इसलिए, नाद योग साधना करने का तरीका भी जानना बेहद जरूरी है। तो चलिए, नाद योग के लाभ पाने के लिए जानते हैं कि इस योग को कैसे किया जाता है :
• नाद योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एक ऐसा स्थान चुनें, जो एकदम शांत हो।
• फिर योगा मैट बिछा लें और अगर आपके पास नहीं है तो बाजार में आसानी से मिल जाएगा..इसके उपर बैठ जाएं। इसके लिए चाहें, तो पैरों को क्रॉस कर बैठ सकते हैं या फिर सुखासन, पद्मासन या वज्रासन करने का तरीका भी अपना सकते हैं।
• इसके बाद एक निर्मल संगीत (वाद्य संगीत) बजाएं।
• इस दौरान अपने हाथों को ज्ञान मुद्रा में घुटनों पर रखें।
• अब आंखें बंद कर गहरी सांस भरे और उसे धीरे-धीरे छोड़े।
• इसके बाद संगीत की ओर अपना ध्यान केंद्रित करें।
• कोशिश करें कि इस दौरान संगीत के अलावा और किसी चीज पर ध्यान न जाए।
• कम से कम 20 से 30 मिनट तक इसी तरह ध्यान लगाएं।
• इसके बाद अपनी हथेलियों को रगड़ कर आंखों पर रखें।
• अब धीरे-धीरे आंखें खोलें और अपनी प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।
• इस योग का अभ्यास रोजाना करें। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया के दौरान यह याद रखे की प्रभु की भक्ति में ही हमारा मन लगना चाहिए..पूरी प्रक्रिया के दौरान अपने दिमाग को प्रभु के चरणों में लगाए रखे... संगीत और ध्वनि के माध्यम से किए जाने वाले नाद योग साधना के कई फायदे हैं। जिसमें सबसे खास है चिंता और अवसाद कम करने में सहायक दरअसल अवसाद और चिंता की स्थिति से जूझ रहे लोगों के लिए नाद योग लाभकारी हो सकता है। दरअसल, नाद योग साधना पर हुए एक शोध से इस बात की जानकारी मिलती है कि चिंता और अवसाद को कम करने में यह सहायक हो सकता है। यह शोध कोरोना काल में चिंता और अवसाद की समस्या को झेल रहे लोगों पर किया गया, जिसमें इस बात की पुष्टि होती है कि नाद योग साधना करके चिंता और अवसाद को कम किया जा सकता है...इसके अलावा इम्यून सिस्टम के लिए भी नाद योग साधना बेहद जरुरी है..जिन साधको का ध्यान न लगता है ऐसे साधको को यह अवश्य करना चाहिए जिससे ध्यान लगाने में फायदा होता है...इसमें स्वस्थ इम्यून सिस्टम भी शामिल है। इम्यून सिस्टम शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, जो शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इसलिए, इम्यून सिस्टम का मजबूत रहना जरूरी है। इसके लिए नाद योग साधना फायदेमंद साबित हो सकती है। तो यह बहुत साधारण सी प्रक्रिया है लेकिन आप इसे करिए और देखिए क्या चमत्कारिक परिवर्तन होता है मात्र 15 मिनिट की यह प्रक्रिय़ा आपका जीवन बदल देगी
Nada Yoga is the process of the union of the individual mind with cosmic consciousness through the flow of sounds. When the river of consciousness is impeded by the ego, Nada or special sounds can remove the obstruction allowing the river of individual consciousness to unite with its source, the ocean of pure consciousness.
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