वायदा कारोबार शुरू हुआ तो सोयाबीन 10 हजार बिकेगी | If futures start then soybean will be sold 10000

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इस वीडियो में हम आपको सोयाबीन के वायदा कारोबार को लेकर जानकारी दे रहे हैं। बजट से पहले सरकार ने सुझाव मांगे हैं। उसमें हम आपकी आवाज सरकार तक पहुंचा सकते हैं।

केन्द्र सरकार सोयाबीन का वायदा खोल दे तो भाव 10 हजार रुपये क्विंटल तक जा सकता है। वायदा व्यापार मूल्य जोखिम से बचाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। चार साल पहले जब वायदा कारोबार स्थगित किया गया था तब सोयाबीन का भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

किसानों को उसके उत्पादों पर बेहतर वापसी सनिश्चित करने के लिए समय-समय पर आवश्यक कदम उठाती रहती है जिससे कृषक समुदाय को फायदा भी होता है।

इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में नियंत्रित रूप से बढ़ोत्तरी करना और मूल्य समर्थन योजना के तहत कृषि जिंसों की खरीद करना भी शामिल है।

एमएसपी पर धान और गेहूं की अत्यन्त विशाल मात्रा की खरीद पहले से ही हो रही है जबकि हाल के वर्षों में दलहन, तिलहन एवं कपास की खरीद में भी जोरदार बढ़ोत्तरी हुई है।

इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि इन जिंसों का बाजार भाव अक्सर एमएसपी से नीचे रहता है और किसानों को औने-पौने दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए विवश होना पड़ता है।

सोयाबीन का मामला इसी श्रेणी में शामिल है जिसका थोक मंडी भाव घटकर एमएसपी से काफी नीचे आ गया है। यानी 4000 से 4300 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास आ गया है। सरकार को किसानों से इसकी भारी खरीद करनी पड़ रही है।

इस स्थिति से बचा जा सकता था। सरकार अगर वायदा कारोबार से रोक हटा दे तो फिर से सोयाबीन 8 से 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक बिक सकती है।

सोयामील निर्यात भी कम होकर 15.5 लाख टन रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष यह 22.75 लाख टन था। चालू सीजन के अंत तक सोयाबीन का बकाया स्टॉक 2.61 लाख टन तक गिर सकता है, जो पिछले वर्षों में सबसे कम स्तर पर होगा।
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In this video, we are giving you information about soybean futures trading. The government has asked for suggestions before the budget. We can convey your voice to the government in that.

If the central government opens soybean futures, the price can go up to Rs 10,000 per quintal. Futures trading is an important means of protecting against price risk. When futures trading was suspended four years ago, the price of soybean jumped to a new record level.

Necessary steps are taken from time to time to ensure better returns to farmers on their products, which also benefits the farming community.

This includes controlled increase in the Minimum Support Price (MSP) and purchase of agricultural commodities under the price support scheme.

Very large quantities of paddy and wheat are already being purchased at MSP, while in recent years there has been a strong increase in the purchase of pulses, oilseeds and cotton.

This clearly indicates that the market price of these commodities is often below the MSP and farmers are forced to sell their produce at throw-away prices.

The case of soybean is included in this category, whose wholesale market price has come down much below the MSP. That is, it has come down to around Rs 4000 to 4300 per quintal. The government has to buy it in large quantities from the farmers.

This situation could have been avoided. If the government removes the ban on futures trading, then soybean can again be sold for Rs 8 to 10 thousand per quintal.

Soymeal exports are also expected to decline to 15.5 lakh tonnes, whereas last year it was 22.75 lakh tonnes. By the end of the current season, the outstanding stock of soybean may fall to 2.61 lakh tonnes, which will be the lowest level in the past years.

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