अम्बा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध, अम्बिका निकेतन मंदिर | सूरत गुजरात | 4K | दर्शन 🙏

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श्रेय:
लेखक: रमन द्विवेदी

भक्तों नमस्कार! प्रणाम और हार्दिक अभिनन्दन! भक्तों आज हम आपको एक ऐसे मंदिर की यात्रा करवाने जा रहे हैं, जिसे माँ जगदम्बा ने अपनी भक्त भारती मैया को स्वनादेश देकर स्वयं बनवाया है। भारतीय मैया ने ये मंदिर हर घर से एक एक रुपया का अनुदान इकठ्ठा करके बनवाया था। अम्बिका निकेतन मंदिर को सूरत और उसके आसपास के लोग अम्बा मंदिर के नाम से भी जानते हैं।

मंदिर के बारे में:
भक्तों श्री अंबिका निकेतन मंदिर गुजरात के सूरत शहर से 8 किमी दूर डुमास रोड पर पार्ले पॉइंट के पास ताप्ती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर सूरत और उसके आसपास के लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। ये मंदिर सूरत के सबसे चर्चित और विख्यात मंदिरों में से एक है। इसीलिये इस मंदिर में हमेशा भक्तों का जमावड़ा रहता है।

इस मंदिर का इतिहास:
भक्तों सूरत स्थित अम्बिका निकेतन अर्थात श्री अम्बाजी मंदिर लगभग 54 वर्ष पुराना श्री आदिशक्ति दुर्गा को समर्पित एक सुप्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर माँ अम्बिका की परम भक्त स्वर्गीय श्रीमती भारती मैया द्वारा वर्ष 1969 में बनवाया गया था। इसीलिये मंदिर के निचले तल पर श्रीमती भारती मैया की मूर्ति स्थापित की गयी है।

मंदिर निर्माण की कथा:
भक्तों सूरत के अम्बिका निकेतन मंदिर के निर्माण सम्बंधित एक बड़ी रोचक और हृदयस्पर्शी कथा प्रसिद्ध है। जिसके अनुसार- सूरत में एक गरीब पति – पत्नी श्री ज्ञानू भाई और श्रीमती भारती मैया रहा करते थे। दोनों माँ जगदम्बा के अनन्य भक्त थे। वो दोनों अपना जीवन पूर्णतः माँ जगदम्बा को समर्पित कर चुके थे। एक रात भारती मैया को माँ जगदम्बा ने सपने में ताप्ती नदी के तट पर अपना मंदिर बनाने का आदेश दिया। लेकिन भारती मैया अपनी निर्धनता के चलते चुप रह गयीं। लेकिन अंबे माँ निरंतर उनके सपने में आकर मंदिर बनवाने को कहने लगीं। एक दिन भारती मैया ने माता जी से कहा कि माँ मेरे पास न तो मंदिर के लिए जमीन है और न पैसा है मैं आपका मंदिर कैसे बनवाऊं ?? तब माता रानी ने कहा कि एक घर से मात्र एक रुपया चंदा मांगों, मंदिर बन जाएगा। उसी रात माता रानी ने अपनी एक ज़मीदारिन भक्त देवली को सपना देकर कहा कि तुम्हारी जो ज़मीन ताप्ती नदी के किनारे है उसे मेरा मंदिर बनाने के लिए भारती मैया को दे दो। दूसरे दिन सुबह होते ही देवली भारती मैया के घर आई। और भारती मैया के पैरों पर गिरकर रोती हुई बोली कि मैया आपने मुझे माता रानी का दर्शन करवा दिया। ताप्ती नदी के किनारे मेरी जो ज़मीन है, मैं उसे मातारानी के मंदिर के लिए आपको सौंप रही हूँ। ज़मीन मिल जाने से भारती मैया को हिम्मत आई और माँ जगदम्बा के आज्ञानुसार हर घर से एक एक रूपया चंदा मांगने निकल पडीं। उन्होंने गाँव गाँव माता के भजन गाकर , माता की चौकी और जगराता करके एक लाख रूपए जुटा लिए । उन रुपयों से नदी के किनारे कुछ और ज़मीन खरीदीं और मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो गया। माता रानी की कृपा से देखते ही देखते मंदिर निर्माण में, कई धनी मानी दानदाता भी जुड़ गए और वर्ष 1969 में माता जी का अम्बिका निकेतन मंदिर बनकर तैयार हो गया।

मंदिर की वास्तुकला:
भक्तों सूरत का अंबिका निकेतन मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के दो भव्य और विशाल मंजिल हैं। जिसके पहले मंजिल पर देवी अंबिका सहित कई और देवी देवता प्रतिष्ठित हैं।

अंबाजी की मूर्ति:
भक्तों सूरत स्थित अम्बिका निकेतन मंदिर के गर्भगृह में आदिशक्ति स्वरूपा माता अम्बिका की आठ भुजाओं वाली बहुत ही भव्य और दिव्य मूर्ति विराजमान है। माता अम्बिका अपनी आठों भुजाओं में दिव्य अस्त्र-शस्त्र धारण किये हुए मधुर मुस्कान बिखेरती रहती हैं।

बाजी मंदिर सूरत समय:
भक्तों अम्बिका निकेतन मंदिर सूरत प्रतिदिन भक्तों के लिए सुबह 5 बजे से दोपहर 12 तक तथा शाम 3 बजे से रात 10 तक खुला रहता है। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक यह मंदिर बंद रहता है।

मंदिर परिसर:
भक्तों सूरत स्थित अम्बिका निकेतन मंदिर देवी पंचायतन का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में शिव परिवार, श्रीराम दरबार, श्रीलक्ष्मी नारायण, माँ आशापुरा, भगवान् सूर्यनारायण, भगवान दत्तात्रेय और माता खोडियार के मंदिर स्थाप्पित हैं।

अनवरत सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम:
भक्तों सूरत के अम्बिका निकेतन मंदिर में साल भर विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है। इस मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। क्योंकि यहाँ बिना पूजा पाठ किये भी श्रद्धालुओं और भक्तों को, अद्भुत आंतरिक शांति, आध्यात्मिक अनुभव और आत्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

मंदिर की दिनचर्या:
भक्तों अम्बिका निकेतन मंदिर के सभी सेवायत और पुजारी 5 बजे मंदिर पहुँचकर देवी देवताओं को जगाते हैं, स्नान कराते हैं, श्रृंगार कराते हैं, नैवेद्य अर्पित करते हैं, तत्पश्चात निरंजन यानि आरती होती है, आरती के बाद दुबारा साफ़ सफाई होती है। इसके बाद भक्तों के लिए दर्शन को मंदिर खुलता है। 11 बजते ही सभी देवताओं को राजभोग अर्पित किया जाता है। दोपहर के 12 बजते ही देवी देवताओं को शयन करवाके मंदिर बंद कर दिया जाता है... 3 बजे तक मंदिर के पट बंद रहते हैं। 3 बजे मंदिर के पट खुल जाते हैं और 6:30 बजे शाम तक खुले रहते हैं। शाम 6।30 से 7 बजे तक श्रृंगार और आरती की तैयारी के लिए मंदिर के पट फिर बंद कर दिए जाते हैं। 7 बजे संध्या आरती होती है आरती के बाद मंदिर 10 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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