दिव्या माथुर की कहानी -त्रिया चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम् | Divya Mathur Story | Audiostory | Kahani

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दिव्या माथुर की कहानी - त्रिया चरित्रम् पुरुषस्य भाग्यम् | Divya Mathur's Story | Audiostory | Kahani | स्वर - सिम्मी सैनी‪@kathasahityapro‬


दिव्या माथुर प्रवासी हिंदी लेखन की प्रतिनिधि रचनाकार हैं। मैथिलीशरण गुप्त प्रवासी लेखन सम्मान से सम्मानित दिव्या जी की साहित्यिक प्रतिभा गद्य और पद्य दोनों विधाओं में समानांतर रूप से गतिशील है।
कार्यक्षेत्र : १९८५ में आप लंदन में भारतीय उच्चायोग से जुड़ी दिव्या माथुर रॉयल सोसाइटी ऑफ आर्ट्स की फ़ेलो हैं। नेत्रहीनता से संबंधित कई संस्थाओं में आपका सक्रिय योगदान रहा है तथा आपकी अनेक रचनाएँ ब्रेल लिपि में प्रकाशित हो चुकी हैं। आशा फ़ाउंडेशन और पेन संस्थाओं की संस्थापक-सदस्य, चार्नवुड आर्ट्स की सलाहकार, यू के हिंदी समिति की उपाध्यक्षा, भारत सरकार के आधीन, लंदन के उच्चायोग की हिंदी कार्यकारिणी समिति की सदस्या, कथा यू के की पूर्व अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन की सांस्कृतिक अध्यक्ष, दिव्या कई पत्र, पत्रिकाओं के संपादक मंडल में भी शामिल हैं।



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